अग्निष्टोम यजुष् और अथर्वन् की यज्ञ पद्धति में अग्निष्टोम का अग्न्याधान, वाजपेय आदि की तरह ही महत्व है। इसे ज्योतिष्टोम भी कहते हैं। यह पाँच दिनों तक मनाया जाता है। प्राय राजसूय तथा अश्वमेध यज्ञों के कर्ता इस यज्ञ का प्रतिपादन आवश्यक समझते थे। वैदिक साहित्य के अतिरिक्त प्राचीन अभिलेखों (आंध्र) में भी हमें इस यज्ञ का उल्लेख मिलता है। (चं. म.)