अकबर, सैयद अकबर हुसेन (१८४६-१९२१ ई.) इलाहाबाद (उ. प्र.) के वर्तमान काल के सुप्रसिद्ध उर्दू कवि। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद १८६७ में मुख्तारी की परीक्षा पास की, १८६९ पास की और मुनसिफ हो गए, फिर क्रमश उन्नति करते-करते सेशन जज हुए जहाँ से १९२० ई. में उन्होंने अवकाश प्राप्त किया। १९२१ ई. में प्रयाग में उनका देहांत हुआ।
अकबर ने १८६० ई. के लगभग काव्य रचना आरंभ की। अधिकतर गजल लिखते थे पर जब लखनऊ से अवध पंच निकला तो अकबर ने भी हास्यरस को अपनाया और थोड़े ही समय में इस रंग के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाने लगे। इस क्षेत्र में कोई उनसे ऊँचा न उठ सका। अकबर के काव्य में व्यंग्य भी है और वह व्यंग्य अधिकतर पश्चिमी सभ्यता के आक्रमण के विरुद्ध है जो भारत और विशेष रूप से मुसलमानों की शिक्षा, संस्कृति और जीवन को बदल रही थी। व्यंग्य और हास्य की आड़ में वह विदेशी राज्य पर कड़ी चोटें करते थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरुद्ध थे जो अंग्रेजी प्रभाव से प्रेरित था। उनकी विशेष रचनाएँ ये हैं: कुल्लियाते अकबर ४ भाग; ¢ गांधीनामा¢ ; पत्रों का संग्रह।
सं. ग्रं.-अकबर तालिब इलाहाबादी; अकबरनामा अब्दुल मजीद दरियाबादी। (सै. ए. हु.) श्