विजे लेंब्रूं (Vigee Lebrun) मारी-आन एलिजाबेथ (१७५५-१८४२) विजे लेंब्रूं एक कुशल महिला चित्रकार थी। उसे बचपन से ही चित्रकला में अभिरुचि हो गई थी और इसकी प्रारंभिक शिक्षा उसने अपने पिता से पाई। १७७९ में मारी आंतो नेते ने उसे वार्साई में चित्र बनाने के लिए आमंत्रित किया था। स्त्रियों तथा बालकों के व्यक्तिचित्र बनाने के लिए आमंत्रित किया था। स्त्रियों तथा बालकों के व्यक्तिचित्र बनाने में वह बड़ी पटु थी। १७८३ में वह अकादमी की सदस्या निर्वाचित हुई। उसका एक प्रसिद्ध कलागृह भी था। उसे सम्राज्ञी ने अपने दरबार का कलाकार भी घोषित किया। १७८९ की क्रांति के समय उसने फ्रांस छोड़ दिया और इटली, वियना, प्राग, ड्रेस्डेन तथा रूस इत्यादि देशों की यात्रा की। १८०२ में वह फ्रांस वापस आई पर नेपोलियन का काल उसे न भाय और वह इंग्लैंड चली गई। व्यक्तिचित्रकार (पोट्रेट पेंटर) के रूप में उसे बड़ी प्रसिद्धि मिली और वह जहाँ भी गई उसका खूब आदर हुआ। वह काफी खूबसूरत भी थी। उसके चित्र लंदन की संग्रहालय में सुशोभित हैं। (रामचंद्र शुक्ल)