विचित्रवीर्य सत्यवती के उतपन्न महाराज शांतनु के कनिष्ठ पुत्र। इनके ज्येष्ठ भाई चित्रांगद थे जिन्हें बचपन में ही एक गंधर्व ने मार डाला था। फलत: विचित्रवीर्य ही गद्दी पर बैठे। इन्होंने स्वयंवर में काशिराज की अंबिका एवं अंबालिका नामक कन्याओं को जीतकर उनसे विवाह किया। इनके नि:संतान मरने पर इनकी माता तथा भीष्म ने कृष्णाद्वैपायन व्यास से इनकी दोनों विधवाओं का पुत्रोंत्पत्ति के लिए नियोग करा दिय। फलस्वरूप घृतराष्ट्र एवं पांडु का जन्म हुआ।