विक्रमाजीत राय रायन, राजा सुंदरदास नामक ब्राह्मण। मुगल सम्राट् जहागीर के दरबार में राजकुमार शाहजहाँ का सेवक नियुक्त हुआ। कार्यदक्ष होने के कारण लेखक से मीरे-सामान बनाया गया। क्रिमाजीत और रायरायन नाम इसे उपाधिस्वरूप प्राप्त हुए थे। १६१७ में गुजरात प्रांत का अध्यक्ष नियुक्त हुआ। अपनी अध्यक्षता में उसे प्रदेश की सीमाएँ दूर दूर तक विस्तृत कीं। राजा वसू के पुत्र सूरजमल के विदोह को शाहजहाँ के साथ सफलतापूर्वक दमन करके मऊ और महरी के दुर्ग जीत लिए। काँगड़ा दुर्ग पर चौदह मास तक घेरा डाल रखने के उपरात सन् १६२१ ई. में अधिकार किया। लगभग इसी समय मलिक अंबर ने विद्रोह करके अहमदनगर और बरनार के आसपास अधिकर कर लिया और बुरहानपुर को घेर लिया। राजा ने अन्य सरदारों के साथ पहुँचकर वीरता से मलिक अंबर का दमन किया। शाहजहाँ के विद्रोह के सय राजा मर गया। यह पाँच हजारी मंसब तक पहुँच चुका था।