विंसेंट, बोबे का मध्यकालीन विश्वकोशकार। जन्मतिथि और स्थान के बारे में निश्चित रूप से कहना कठिन है। अगर उसका देहांत सन् १५६४ में हुआ माना जाए तो उसकी कृतियों को देखते हुए निश्चय ही उसके जन्म का वर्ष ११९० होना चाहिए। जीवनचरित् के बारे में भी कोई विशेष बातें मालूम नहीं। किसी समय वह पेरिस के नजदीकी स्थान पर एक धर्मसंस्था में शिक्षक था। उसकी महत्वपूर्ण कृति है स्पेकुलम मेजस। इसके तीन भाग हैं जिनमें उसकी महत्वपूर्ण कृति है स्पेकुलम मेजस। इसे तीन भाग हैं जिनमें उसने अपने समय तक ज्ञात सभी ज्ञान विज्ञान संबंधी बातों का समावेश किया हैं। पहला खंड विश्व के बारे में है जिसके ३२ भागों और ३७१८ अध्यायों में उसने यूरोप के प्राकृतिक इतिहास से सबंधित समस्त उपलब्ध ज्ञान का आकलन किया है। अध्येताओं की दृष्टि से इस पुस्तक का बहुत बड़ा महत्व है। यंत्रविधि, दार्शनिक समस्याएँ, राजनीति और सैन्यसंचालन से लेकर गणित तक इसमें शामिल है। गणित के अंतर्गत भी विंसेट ने वज़न, माप, ज्यामिति, खगोल, सामुद्रिक और यहाँ तक कि संगीत का भी विवेचन किया है। ध्यान देने की बात है कि इस पुस्तक में वह अरबी अंकों से परिचित मालूम होता है गोकि इसका उल्लेख इस रूप में उसने कहीं नहीं किया है। इसके अंतिम भाग में अध्यात्मवाद, पुराण, बाइबिल आदि से लेकर सेंट विक्टर बंधु तक का जिक्र किया है। इस विशाल ग्रंथ का दूसरा ख्ंड है सिद्धांत संबंधी। पर यह काफी अंशों में पहले खंड के उपसंहारात्मक अंशों की ही व्याख्या पेश करता है। इतिहास विषयक उसका अंतिम खंड ३७९३ अध्याय में लिखा गया है जिसमें सृष्टिरचना से लेकर सेंट लुई के धर्मयुद्ध तक का विस्तृत इतिहास समाविष्ट है। पूरी तरह मौलिक अथवा सैद्धांतिक दृष्टि से पूर्ण भले ही न हो यह कृति, लेकिन संकलन की अगाध क्षमता और सामग्री के वर्गीकरण में हुए परिश्रम की कल्पना करते हुए विसेंट की इस देन को सराहनीग कहा जाएगा। ६ शताब्दियों के बाद अनेक विद्वानों ने मिलकर जिस काम को हाथ में लिया, उसे उसने अकेले निभाया यह साधारण बात नहीं हैं। (मुद्रा राक्षस.)