वाशिंगटन अर्विंग अमरीकन लेखक और साहित्यकार, जन्म ३ अप्रैल, १७८३ को न्यूयार्क में। १६ वर्ष की उम्र में ही उसने विद्यालय छोड़ दिया और पिता के आदेश से कानून के दफ्तर में प्रवेश किया, पर वहाँ उसका मन नहीं लगा। समाचारपत्रों के लिए व्यंग्यात्मक लेख लिखने में उसे अधिक रुचि थी और रंगमंच की ओर भी उसकी रुझान थी। जब वह २१ वर्ष का हुआ तब उसका स्वास्थ्य बिगड़ता देखकर स्वास्थ्य बिगड़ता देखकर उसके भाइयों ने उसे यूरोप भेज दिया, जहाँ उसने फ्रांस, इटली, नेदरलैंड, तथा इंगलैंड की सुखद यात्राएँ कीं। विभिन्न स्थानों में भ्रमण करते समय उसने जो कुछ देखा, सुना या अनुभव प्राप्त किया उसे वह अपनी नोटबुक में लिखता गया। यह सामग्री आगे चलकर उसके सफल लेखक बनने में यथेष्ट सहायक सिद्ध हुई। उसने ''सल्मागुंडी'' नामक अर्ध मासिक पत्र में कई लेख लिखे और फिर १८०९ में ''न्यूयार्क नगर का इतिहास'' प्रकाशित किया। इसमें न्यूयार्क का तथ्यपूर्ण इतिहास तो दिया ही गया, पर साथ साथ वहाँ के डच अधिवासियों और उनकी रहन सहन आदि का व्यंग्यात्मक चित्रण भी प्रस्तुत किया गया था। इस रचना ने साहित्य क्षेत्र में उसकी कीर्ति फैला दी।
सन् १८१५ में अपने परिवार के कारोबार आदि के सिलसिले में उसे फिर इंग्लैंउ जाना पड़ा। इस बार लगातार १५ वर्ष उसने यूरोप में ही बिताए और अनेक पुस्तकों की रचना की। इनमें मुख्य ''दि स्केच बुक'' है जो १८१९-२० में इंग्लैंड तथा अमरीका में एकसाथ प्रकाशित हुई। इसमें निबंध थे, व्यक्तियों के संक्षिप्त चरित्रचित्रण थे, और कुछ विवरण तथा छोटी छोटी कहानियाँ भी थीं, जिनमें जीवन के व्यक्तिगत अनुभवों के साथ पुस्तकों से संकलित छिफुट अंश सँवारकर रखे गए थे। उसकी तीन अन्य पुस्तकें 'ब्रेसब्रिज हाल', 'टेल्स ऑव् ए ट्रैवलर' तथा 'दि अलहंब्रा' क्रमश: १८२२, १८२४ तथा १८३२ में प्रकाशित हुईं।
स्पेन की यात्रा के समय उसके तत्कालीन उत्कर्ष की जो झलक उसने देखी थी, उसकी अभिव्यक्ति हुई ''हिस्ट्री ऑव् दि लाइफ ऐंड वायेजेज ऑव् कोलंबस'' तथा ''दि कांक्वेस्ट ऑव् ग्रैनेडा'' में। सन् १८३५ में वह स्वदेश लौअ आया। तब तक यहाँ प्रचुर परिवर्तन और हेरफेर हो गया था। अत: उसने फिर अमरीकन विषयों पर लिखने का निश्चय किया। ''ए टूर ऑव् प्रेयरीज'' १८३५ में और ''एस्टोरिया'' एक वर्ष बाद प्रकाशित हुई। सन् १८३७ में ''दिएडवचर्स ऑव् कैपटेन वानविल'' नामक पुस्तक निकली, जिसमें एक अमरीकी सैनिक अधिकारी के उन अनुभवों का वर्णन किया गया था जो उसे राकी पर्वतमाला की खोजबीन के सिलसिले में हुए थे। यह तथा इसके पहले की 'ऐस्टोरिया' पुस्तक यात्रा तथा खोज की अद्भुत घटनाओं का वर्णन करने के कारण आज भी महत्वपूर्ण कृतियाँ समझी जाती हैं।
सन् १८४२ में वह स्पेन में राजदूत नियुक्त किया गया। चार वर्ष वहाँ रहने के बाद १८४६ में वह स्वदेश लौट आया और उसने पाँच खंडों में जार्ज वाशिंगटन की जीवनी लिखने का कार्य हाथ में लिया जो उसकी मृत्यु के ठीक पहले प्रकाशित हुई। यद्यपि उसके बाद अमरीका में उससे बढ़कर और अधिक प्रसिद्ध लेखक हुए, फिर भी अपने समय का वह महान् लेखक था और इस दृष्टि से साहित्य में उसका स्थान आज भी सुरक्षित है। (यू. एम. शी.)