वालेन्स्टाइन आल्ब्रेख्त वेन्त्सेल यूसेबिअस फ़ान (१५८३-१६३४) वालेन्स्टाइन बड़ा बहादुर, महत्वाकांक्षी और भाग्यवादी सेनापति था। ज्योतिषियों और ग्रहों पर बड़ा विश्वास रखाता था। उसने अनेक बार जर्मन सम्राट् फर्डीनेंड के लिए विशाल सेना जुटाई और जर्मन साम्राज्य की आक्रामकों से रक्षा की, परंतु अपनी महत्वकांक्षा के कारण वह सम्राट् का कोपभाजन बना और गुप्त षड्यंत्र के कारण अंत में उसको हत्या कर दी गई।

वह बोहेमिया के हरमानिक स्थान में १५ सितंबर, १५८३ को साधारण सरदार के घर में पैदा हुआ था। हंगरी के राजा रुडोत्फ द्वितीय की सेना में सैनिक के रूप में उसका जीवन शुरु हुआ। १६०६ में बोहेमिया में उसने एक धनी वृद्धा विधवा के साथ विवाह किया। १६१४ में उसको उसके मरने के बाद उसकी मोराविया की जागीर मिली। उसकी आमदनी से उसने २०० सुसज्जित घुड़सवार आर्कड्यूक फर्डीनेंड को भेंट किए। उसने स्वयं इनका सेनापतित्व किया और बड़ा नाम कमाया।

१६१८ में बोहेमिया में जो क्रांति हुई और जिसके कारण ''तीस वर्षीय युद्ध'' जारी रहा, उसमें क्रांतिकारियों के निमंत्रण पर भी उसने राजा का साथ दिया। मोराविया का खजाना भी लाकर राजा को सौंप दिया। बड़ी सेना खड़ी करके काउंट मान्सफैल्ट के विरुद्ध युद्ध में उसने बड़ा यश प्राप्त किया। क्रांतिकारियों से उसने अपनी मोराविया जागीर वापस ले ली। फंर्डीनेंड ने जब्त की हुई जमीन भी मामूली कीमत पर उसको दे दी। अपनी जागीर और उस सारी जमीन को मिलाकर उसने फ्रीडलैंड नाम का एक स्वतंत्र प्रदेश बना लिया और उसके सफल शासक के रूप में उसका चहुँमुखी विकास किया। १६२५ ई. में वह फ्रीटलांट (Friedland) का ड्यूक बनाया गया।

१६२६ के संकट में उसने फर्डीनैंड के लिए ५०००० सेना संगठित की। हँगरी, साइलीसिया, मेकलेनबर्ग आदि में उसने शासन को व्यवस्थित किया। बाल्टिक सागर को जीतकर और संयुक्त जर्मनी का निर्माण करके वह अपनी जलसेना को स्केंडेनेविया, नीदरलैंड और इंग्लैंड के बराबर शक्तिशाली बनाना चाहता था, परंतु स्ट्रालसंड की पराजय के कारण उसका यह स्वप्न पूरा न हो सका। सितंबर, १६३० में उसके शत्रुओं के दबाव में आकर फर्डीनेंड ने उसको अनिच्छापूर्वक सेनापति के पद से हटा दिया।

एक ओर गस्तावस आडॉल्फस ने म्यूनिक तक का प्रदेश हस्तगत कर लिया और दूसरी और सैक्सनों ने बोहेमिया पर आक्रमण कर दिया। उसकी इच्छा गस्तावस द्वारा अपने शत्रुओं का विनाश कर दिए जाने के बाद उसके साथ मिलकर संयुक्त जर्मन राष्ट्र संगठित करने की थी परंतु फर्डींनेंड के निमंत्रण पर उसने उसका साथ देना आवश्यक समझा और पहले से भी अधिक विशाल सेना तैयार करके उसने गस्तावस का मुकाबिला किया। लुत्सेन की लड़ाई में गस्तावस मारा गया परंतु वालेन्स्टाइन को भी पराजित होना पड़ा। बोहेमिया को उसने सैक्सनों से अनायास खाली करा लिया। ब्रांडेनबर्ग, स्वीडन, फ्रांस और सैक्सनों के साथ उसने संयुक्त जर्मन राष्ट्र के निर्माण और स्वयं सर्वोच्च सत्ता प्राप्त करने के लिए जो गुप्त मंत्रणा की उससे फर्डीनेंड को संदेह हुआ और उसने उसको सेनापति के पद से हटाने के लिए एक गुप्त आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। फर्डीनेंड के विश्वासपात्र लोगों ने उसके साथियों की हत्या के बाद उसकी भी हत्या कर डाली। ((स्व.) सत्यदेव विद्यालंकार)