वामन शिवराम आपटे (१८५८-१८९२) का जन्म सावंतवाडी रियासत के असोलीपाल नामक स्थान पर हुआ। माता पिता की असमय में मृत्यु हो जाने से उनका प्रारंभिक जीवन कष्टप्रद रहा। इन दिनों उन्हें अपने गुरु हेडमास्टर कुंटे जी की सहानुभूति और सहायता प्राप्त होती रही। गुरु के अशीर्वाद तथा विद्या के प्रति सच्ची लगन से उन्होंने १८७३ में मैट्रिक परीक्षा जगन्नाथ शंकरशेट शिष्यवृत्ति के साथ उत्तीर्ण की। गणित में एम. ए. की उपाधि उन्होंने प्रथम श्रेणी के साथ डेक्कन कॉलेज से प्राप्त की।
१८८१ में 'केसरी' और 'मराठा' पत्रों का जन्म हुआ। उन्होंने इन पत्रों तथा न्यू इंग्लिश स्कूल के चलाने में विष्णुशास्त्री चिपलूणकर, लोकमान्य तिलक, गोपालराव आगरकर तथा महादेवराव नामजोशी के साथ मिलकर कार्य किया था। न्यू इंग्लिश स्कूल की सेवा आपने अध्यापक और व्यवस्थापक के रूप में की। इस स्कूल के अनुशासन की ख्याति सर्वत्र थी। १८८२ में सरकारी शिक्षा आयोग के सम्मुख उन्होंने अपने विचार प्रस्तुत किए थे।
१८८५ में वे फर्ग्यूसन कॉलेज के प्रधानाध्यपक नियुक्त हुए। इस कॉलेज की वर्धमान प्रतिष्ठा और कीर्ति के पीछे उनका निरंतर उद्योग और प्रयत्न था।
वे संस्कृत के महान् पंडित थे। उनकी पुस्तकों में 'स्टूडेंट्स् गाइड टु संस्कृत कांपोज़ीशन' तथा इंग्लिश-संस्कृत और संस्कृत-इंग्लिश कोश विशेष प्रसिद्ध हैं। इनमें प्रथम पुस्तक के रूप में उनकी कीर्ति चिरस्थायी है। इस पुस्तक में संस्कृत वाक्यरचना के संबंध में उनके विचार नवीन हैं और उनकी बुद्धिमत्ता के परिचायक हैं। यह पुस्तक हिंदुस्थान में ही नहीं, बाहर भी सर्वत्र मान्य है। (हरि अनंत फड़के)