वाट्स, जॉर्ज फ्रेड्रिक (१८१७-१९०४) विक्टोरियन आंग्ल चित्रकार और मूर्तिकार। जन्म एक वेल्श कुटुंब में लंदन में हुआ। विलियम बेनेस के दिग्दर्शन में उसने शिक्षा प्राप्त की। अपने काम में वह शुरू से ही यशस्वी रहा। लार्ड्स सभा के लिए जो प्रतियोगिता हुई उसमें उसे प्रथम पुरस्कार मिला। इसके कारण वह उच्च शिक्षणार्थ रोम जा सका। लौटने के बाद उसको एक और पुरस्कार मिला। अब वह अगले दस साल तक भित्तिचित्र बनाने में व्यस्त रहा। पार्लिमेंट में तथा न्यायालयों में उसने अपनी कला का उपयोग सजावट के कार्य में किया। वाट्स स्वभावत: लोगों की भलाई चाहता था और उसका विश्वास था कि लोक-हित-साधना ही चित्र का अंतिम ध्येय होना चाहिए।
फलस्वरूप उसने बहुत से चित्र प्रतीकात्मक रूपों में (allegorical forms) बनाए हैं। वाट्स अक्सर 'पाद्री चितारी' के नाम से संबोधित किया जाता है, क्योंकि वह अपने चित्रों द्वारा गंभीर शब्दों में लोगों को नीति उपदेश का रसपान करवाना चाहता था। वाट्स को विक्टोरियन युग का प्रतिनिधि चित्रकार कहना चाहिए। १८६७ ई. में वह रायल अकादमी का सदस्य चुना गया और फिर अध्यक्ष भी निर्वाचित हुआ। वाट्स चित्रकारी के साथ साथ मूर्तियाँ आदि भी गढ़ा करता था। (दिनकर कौशिक)