वाटर्स, टॉमस (१८४०-१९०१) एक विद्वान और अनुवादक का जन्म ९ फरवरी, १८४० में 'न्यूटाऊनर्डस' में हुआ। इनके पिता इसी नगर के श्रेष्ठ पादरी थे। सुशिक्षित परिवार में रहने के कारण वाटर्स को उच्च अध्ययन की प्रेरणा प्राप्त होती रही। वैसे इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा घर पर ही संपंन्न हुई। तदनंतर सन् १८६१ में इन्होंने आयरलैंड के 'क्वींस विश्वविद्यालय' से स्नातक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। एम. ए. पास करने के बाद सन् १८६३ में चीन शासन की राजनयिक सेवा में आपकी नियुक्ति हुई। आप पीकिंग जाकर अनेक वर्षों तक कार्य करते रहने के अनंतर १८९५ में अस्वस्थ होने के कारण सेवामुक्त हुए।

वाटर्स अपने व्यक्तिगत जीवन में अत्यंत, नम्र, एवं निरहंकार रहे। राजकीय कार्य में व्यस्त रहने पर भी ये साहित्यप्रेमी थे। अंग्रेजी के साथ साथ आपका चीनी भाषा पर भी पूर्ण अधिकार था। कालांतर में बौद्ध धर्म एवं दर्शन में भी इनकी रुचि जाग्रत हुई। इसके फलस्वरूप आपने बौद्ध साहित्य संबंधी अनेक ग्रंथ लिखे। इस क्षेत्र में टॉमस वाटर्स और भी प्रसिद्ध हुए जब उन्होंने चीनी यात्री 'युवान-च्वाङ्' की भारतयात्रा के विवरण का चीनी भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया। वाटर्स के पूर्व, इस ग्रंथ का अनुवाद सेम्युल बील ने भी किया था किंतु वह अनुवाद अनेक त्रुटियों से युक्त होने से जनप्रिय न हो सका। वाटर्स ने इन त्रुटियों को शुद्ध कर तथा संस्कृत, पालि शब्दों की व्याख्या कर अपने अनुवाद को पूर्ण रूप से परिमार्जित किया। वाटर्स का यह अनुवाद इतना प्रभावपूर्ण रहा कि रॉयल एशियाटिक सोसायटी, लंदन ने इसे तत्काल प्रकाशित कर दिया।

इसके अतिरिक्त टॉमस ने अनेक ग्रंथों की रचना की जिनमें निम्नलिखित प्रसिद्ध हैं-

१. लाउत्जू : ए स्टडी इन चाइनीज फिलासफी, लंदन १८७०। २. एसेज ऑन दि चाइनीज लैंग्वेज, शंघाई १८८९। ३. स्टोरीज ऑव एव्रीडे लाइफ इन माडर्न चाइना, लंदन ४. कपिलवस्तु इन बुद्धिस्ट बुक्स १८९८. (निखिलशे शास्त्री)