वसिष्ठ गोत्रसूची में वसिष्ठ (वशिष्ठ) नाम है। यह निश्चित है कि वेद से लेकर पुराणों तक विभिन्न ग्रंथों में वसिष्ठ के जितने चरित् मिलते हैं, वे सब एक वसिष्ठ के नहीं हो सकते। कुछ वसिष्ठ ऐसे भी हैं, जिनकी ऐतिहासिकता पर भी संदेह किया जा सकता है, जैसा पर्ज़िटर आदि ने किया है (दे. ऐंशेंट इंडियन हिस्टारिकल ट्रैडिशन ग्रंथ का वसिष्ठप्रकरण)।
वसिष्ठ संबंधी अनेक तथ्य इतिहास, पुराणादि में मिलते हैं। वसिष्ठ मित्रावरुण के पुत्र हैं अत: वे मैत्रावरुणि भी कहलाते हैं। अयोध्या के सूर्यवंशीय राजाओं के पुरोहित के रूप में वसिष्ठ का नाम आता है। व्यास (कृष्णद्वैपायन) के चतुर्थ पुरुष (प्रपितामह) भी वसिष्ठ हैं। महाराज सगर के पालक के रूप में वसिष्ठ का नाम है। कल्माषपाद और दिलीपादि के पुरोहित के रूप में किसी वसिष्ठ का चरित् पुराणों में विस्तार के साथ उपनिबद्ध हुआ है। विश्वामित्र के साथ वसिष्ठ का विवाद प्रसिद्ध है। वसिष्ठ के पुत्र का नाम शक्ति (या शक्त्रि) है।
वसिष्ठ का दार्शनिक ज्ञान शांतिपर्वगत करालजनकचरित् में द्रष्टव्य है। वसिष्ठ चरण ऋग्वेदीय है। इनके धर्मसूत्र का अध्ययन ऋग्वेदी करते हैं।
वसिष्ठ का नाम कई शास्त्रों से संबद्ध है। वसिष्ठप्रोक्त रसायन चरकसंहिता (चिकित्सास्थान १।३) में है। आयुर्वेद संबंधी वसिष्ठसंहिता का उल्लेख भी मिलता है। मत्स्य पुराण (२५२ अ.) में वास्तुशास्त्रकारों की जो सूची है, उसमें भी वसिष्ठ का नाम है। वसिष्ठ ने वामदेव के लिए ज्योतिषशास्त्र का उपदेश किया था-ऐसा किसी किसी ज्योतिष ग्रंथ में कहा गया है। वसिष्ठ धर्मसूत्र प्रसिद्ध है। वसिष्ठ सांख्य शास्त्र के ज्ञाता थे, यह सांख्याचार्यों के वाक्यों से जाना जाता है। यह सामान्यतया निश्चित है कि ये सब विभिन्न वसिष्ठ हैं। (रामशंकर भट्टाचार्य)