वशीकरण मंत्र के कई भेद हैं-मारण, उच्चाटन, शमन, स्वस्तिक, वशीकरण आदि। मारण मंत्र का प्रयोग शत्रु की मृत्यु के लिए, उच्चाटन का शत्रु को भगाने के लिए या भूतप्रेत को हटाने के लिए, शमन मंत्र विपत्तियों की शांति के लिए और स्वस्तिक मंत्र शांति तथा लाभ के लिए काम में लाया जाता है। वशीकरण मंत्र किसी को वश में करने के लिए प्रयुक्त होता है।

जब कोई व्यक्ति अन्य किसी प्रकार से वश में नही किया जा सकता तो इस मंत्र का प्रयोग होता है। यह प्रयोग ऐसे लोगों से करवाया जाता है जो इसमें दक्ष हों। कुमारी लड़कियाँ वरविशेष को प्राप्त करने के लिए वशीकरण मंत्र कराती हैं। इसी प्रकार पत्नीप्राप्ति के लिए भी इस मंत्र से काम लिया जाता है। नववधू अपने पति को सदैव वश में रखने के लिए इस मंत्र का सहारा लेती है। शत्रु के प्रति भी वशीकरण मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

वशीकरण मंत्र में विविध पौधों, घासों और शहद से क्रिया की जाती है। ऐसा विश्वास है कि शहद का प्रयोग करने से प्रेमी की जिह्वा में माधुर्य आ जाता है और वह अपनी मधुर वाणी से कन्याविशेष को वश में कर सकता है। इसी प्रकार औषधविशेष तथा लताविशेष के द्वारा भी मंत्र का प्रयोग होता है। ऐसा विश्वास है कि लता को अभिमंत्रित करने से कन्या भी अभिमंत्रित हो जाती है तथा जिस प्रकार लता द्रुम से लिपटती है उसी प्रकार कन्या प्रेमी से आ लिपटती है। पौधे को हिला हिलाकर मंत्र पढ़ा जाता है कि पत्तों की भाँति लड़की का हृदय उसके प्रेमी के प्रति हिलेगा। मंत्रोच्चार के समय विविध देवताओं का भी आवाहन किया जाता है कि 'तू उसको उखाड़कर मेरे पास ले आ।' कन्या पर वशीकरण मंत्र करते समय कन्या का और पुरुष पर इसका प्रयोग करते समय पुरुष का मिट्टी, आटे या अन्य किसी पदार्थ का पुतला बनाया जाता है, तथा उसपर वशीकरण मंत्र की क्रियाएँ की जाती हैं और यह माना जाता है कि ज्यों ज्यों उस पुतले पर वशीकरण मंत्र की क्रियाएँ की जाती हैं त्यों त्यों उस स्त्री या पुरुष पर प्रभाव होता जाता है। जो स्त्रियाँ पति को छोड़कर चली जाती हैं, उनकी वापसी के लिए, और जब पति किसी अन्य स्त्री से प्रेम करने लगता है तब उसका मन हटाने के लिए वशीकरण मंत्र का प्रयोग होता है। पत्नी और सपत्नी एक दूसरी पर इसका प्रयोग करती है। शत्रु पर वशीकरण मंत्र करते समय भी पुतला बनाया जाता है। इसी मंत्र का प्रयोग पिता पुत्र पर और पुत्र पिता पर भी किया करता है। इस प्रयोग के कई उद्देश्य हुआ करते हैं परंतु मूल उद्देश्य अनुकूलता प्राप्त करना है।

वशीकरण मंत्र का प्रयोग बहुत व्यापक माना जाता है। इस समय भी यह प्रचलित है एवं विविध प्रकार से इसका प्रयोग किया जाता है। इसमें कई प्रकार की क्रियाओं के अतिरिक्त भूत, प्रेत और पिशाच आरि की भी सहायता ली जाती है। ऐसी कथाएँ भी प्रचलित हैं कि पिशाच अमुक स्त्री या पुरुष को उठाकर इष्ट स्थान पर ले जाता है अथवा अन्य प्रकार से उनको अनुकूल कर देता है। प्राचीन और मध्य काल में इसका प्रयोग किसी न किसी रूप में सारे संसार में होता था। अब जैसे जैसे विज्ञान का प्रचार होता जाता है, तैसे तैसे मंत्रशक्ति पर लोकविश्वास कम होता जाता है। (मुरारीलाल शर्मा)