वल्ला लोरेंजो या लारेंतियस इस इतालियन मानवतावादी का जन्म १४०६ ई. में हुआ था। शिक्षा इनकी रोम में हुई। १४३१ में ये पादरी बने और इसके बाद विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देते हुए घूमते रहे। १४३५ के लगभग अरागान के अलफोंसो पंचम के साथ उनकी मित्रता हुई, जो उनके संरक्षक बन गए। वे इस समय तक दो पुस्तकें लिखकर प्रसिद्ध हो चुके थे, एक लातिन व्याकरण पर थी और दूसरी स्टोइक, एपीक्युरियन और ईसाई सदाचार पर थी। इसमें ईसाइयत को रहने दिया गया था पर प्रशंसा एपीक्यूरसवाद की अधिक थी। उन्होंने कई प्रचलित धर्मपुस्तकों को प्रक्षिप्त प्रमाणित किया। इसपर धर्मध्वजियों ने उनपर मुकदमा चलाया, पर अलफोंसो की सहायता से वे छूट गए। उन्होंने संत अगस्तीन पर भी धर्मच्युति का दोष लगाया, बाद में उन्हें पोप निकोलस पंचम ने आश्रय दिया, जिसे कट्टरपन पर मानवतावाद की विजय माना गया। उनका देहांत १४५७ में हुआ। बाद को वे बहुत बड़े आलोचक माने गए और लूथर ने तो उनकी बड़ी प्रशंसा की। (मन्मनाथ गुप्त)