वर्ड्स्वर्थ, विलियम यह सुप्रसिद्ध अंग्रेजी कवि थे। इनका जन्म ७ अप्रैल, १७७७ ई. को करमथ नामक नगर में हुआ जहाँ उनके पिता वकालत करते थे। किंतु जब वे तेरह ही वर्ष के थे उनके पिता का देहांत हो गया। उनकी शिक्षा हाकशेड के व्याकरण विद्यालय के सेंट जॉन नामक महाविद्यालय में हुई। वहाँ से बी. ए. की उपाधि प्राप्त करने के उपरांत वे कुछ समय के लिए लंदन चले गए। जब वे केंब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र थे तभी गर्मियों की छुट्टियों में फ्रांस गए थे और फिर सन् १७९१ में उन्होंने फ्रांस तथा स्विट्जरलैंड की पदयात्रा की और फ्रांस के आर्लियंस तथा बलाव नामक नगरों में कई सप्ताह तक रहे। फ्रांसीसी क्रांति के नेताओं से भी उनका संपर्क हुआ जिसका फल यह हुआ कि वे फ्रांसीसी क्रांति के उत्साहपूर्ण समर्थक बन गए और यदि उनके मित्रों तथा संबंधियों ने उन्हें घर लौटने को बाध्य न किया होता तो उनकी भी वही दुर्गति होती जो अन्य नेताओं की हुई। वर्ड्स्वर्थ को फ्रांस की क्रांति से बहुत आशाएँ थीं किंतु फ्रांस के आतंक राज्य में जो दुर्घटनाएँ हुई उन सब ने उनकी आशाओं पर प्रचंड आघात किया। विलियम गाडविन की प्रसिद्ध पुस्तक पोलिटिकल जस्टिस से भी वे बहुत प्रभावित हुए थे; यहाँ तक कि वे अपने को गाडविन का शिष्य कहने लगे थे और इसी प्रभाव के कारण वे दो-तीन वर्ष तक लोकतंत्रवादी, हेतुवादी तथा अनीश्वरवादी रहे। फ्रांस की क्रांति की असफलता के कारण उनको घोर मानसिक कष्ट हुआ जिसके चुंगल से उनकी बहन डोरोथी वर्ड्स्वर्थ ने अपनी सेवा शुश्रूषा से उनको बचाया। किंतु वे सदैव के लिए क्रांति अथवा परिवर्तन के विरोधी हो गए।

वर्ड्स्वर्थ ने अपने छात्रकाल ही में कविता लिखना प्रारंभ कर दिया था। सन् १७९३ में उनकी दो रचनाएँ 'ईवनिंग वाक' तथा 'डेस्क्रिप्टिव स्केचेज' प्रकाशित हुईं। इन दोनों कविताओं पर पोप और उनके संप्रदाय की स्पष्ट छाप है किंतु उनमें भी उनका मौलिक प्रकृतिनिरीक्षण विद्यमान है। दो वर्ष उपरांत उनका कोलरिज से परिचय हुआ। क्योंकि वे एक दूसरे की विलक्षण प्रतिभा को भली भाँति समझते थे। उन दोनों में दृढ़ मैत्री हो गई, जिसके फलस्वरूप सन् १७९८ में उनकी संयुक्त रचना 'लिरिकल बैलेड्स' प्रकाशित हुई जो स्वच्छंदतावाद संप्रदाय की प्रसिद्ध घोषणा है। उसी वर्ष वे अपनी बहन तथा कोलरिज के साथ जर्मनी गए और लौटने पर ग्रेस्मियर नामक गाँव में रहने लगे जो सन् १८१७ तक उनका निवासस्थान रहा। वहाँ से वे राइडल माउंट चले गए जहाँ वे जीवन के अंत समय तक रहे।

१८०२ ई. में उनका अपनी प्रेमिका मेरी हचिनसन से विवाह हुआ। १८१३ ई. में उनकी वेस्टमोरलैंड के लिए उन्हें वेतन तो मिलता था परंतु किसी प्रकार का काम नहीं करना पड़ता था। १८४२ ई. में सरकार ने उनका नाम अधिकारियों की सूची में सम्मिलित कर लिया और उनको नियमानुसार सेवावृत्ति अथवा पेंशन मिलने लगी। १८४३ ई. में वे राजकवि के पद पर नियुक्त हुए। २३ मार्च, १८५० ई. को उनका स्वर्गवास हो गया।

वर्ड्स्वर्थ की काव्य रचनाएँ बहुसंख्यक हैं। उन्होंने प्राय: सभी प्रकार की कविताएँ लिखीं। 'बार्डर्स' नामक एक दु:खांत नाटक भी लिखा। 'दि व्हाइट डो आव रिलस्टोन,' 'एक्सकर्शन' दी रिवर डडन,' 'एक्लाज़िआस्टिकल सानेट्स,' तथा दि प्रिल्यूड' उनकी विशेष विख्यात कृतियाँ हैं।

उनकी फुटकर रचनाओं में 'टिंटर्न ऐबी', 'माइकेल', 'कैरक्टा ऑव दि हैपी वारियर', 'दि सॉलिटरी रीपर', 'ओड टु ड्यूटी', 'इम्मौर्टैलिटी ओड', 'रिज़ल्यूशन ऐंड इंडेंपैंडेन्स', 'ले ओडेम्पाि', तथा 'गिल्ट ऐंड सॉ', उनकी अमर कृतियाँ हैं।

वर्ड्स्वर्थ में हास्य रस एवं नाटकीय प्रतिभा का अभाव था और उनकी वृतांत्मक शक्ति भी प्राय: साधारण ही थी। उनकी कविता का सबसे बड़ा दोष विषमता है। किंतु यह सब दोष होते हुए भी ये अपने युग के सर्वश्रेष्ठ कवि थे। उनका 'प्रिल्यूड' १९ वीं शताब्दी का सर्वोत्तम आत्मचरितात्मक महाकाव्य है। उनकी गणना इंगलैंड के सबसे बड़े चतुर्दशपदी लेखकों में होती है। उनकी प्रतिभा विचारशील गीत काव्यात्मक थी। वे प्रकृति के सर्वोत्कृष्ट निरूपक तथा आध्यात्मिक कवि हैं। वे दार्शनिक समालोचक भी थे। 'लिरिकल बैलड्स' की प्रस्तावनाएँ और परिशिष्ट उनकी प्रसिद्ध समालोचनात्मक कृतियाँ हैं। सरलता, सौंदर्य, गौरव तथा ओज उनकी काव्यशैली के प्रमुख गुण हैं और अंग्रेजी कवियों में उनकी कीर्ति अमर है। (बी. एल. सा.)