लोरेंट्स, हेंड्रिक ऐंतूँ (Lorentz, Hendrik Antoon, सन् १८५३-१९२८) डच भौतिकीविद् का जन्म आर्नहेम में हुआ था। इन्होंने ल्येडन (Leyden) में शिक्षा पाई और यहीं सन् १८७८ में गणितीय भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। बाद में ये हारलेम (Haarlem) के टेलर इंस्टिट्यूट में अनुसंधान के निदेशक हो गए, किंतु लेडेन के प्रति सप्ताह भौतिकी विषयक व्याख्यान देते थे।

सन् १८७५ में प्रकाशित अपने लेख में इन्होंने विद्युत्पारकों और धातुओं द्वारा प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन की व्याख्या की तथा सन् १८८० में अपने माध्यमों के अपवर्तनांक तथा घनत्व के संबंध पर प्रकाश डाला। भौतिकी में लोरेंट्स का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत था। इन्होंने विद्युत, चुंबकत्व तथा प्रकाश संबंधी घटनाओं का गणितीय समाधान ढूँढ निकालने की चेष्टा की। अपने निष्कर्षों को स्थापित करने के लिए इन्होंने मैक्सवेल के सिद्धांतों का उपयोग किया तथा सन् १८९२ और १८९५ में दो महत्वूर्ण ग्रंथ प्रकाशित किए। पिछले ग्रंथ में इन्होंने एकसमान गति से चलनेवाले निकाय की वैद्युत्गतिकीय क्षेत्र संबंधी गवेषणा की थी। सन् १८९६ में आपने ज़ेमान प्रभाव की व्याख्या की। इन्होंने अन्य कई श्रेष्ठ ग्रंथ लिखे हैं, जिनमें आइन्स्टाइन का आपेक्षित सिद्धांत (सन् १९२०) तथा क्लार्कमैक्सवेल का विद्युच्चुंबकीय सिद्धांत (सन् १९२४) मुख्य हैं।

आप इंग्लैंड की रॉयल सोसायटी के सदस्य मनोनीत हुए तथा इस परमोच्च वैज्ञानिक संस्था ने आपको सन् १९०८ में रंफोर्ड पदक तथा सन् १९१८ ये कॉप्लि पदक प्रदान किए। सन् १९०२ में आपको ज़ेमान के साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। (भगवानदास वर्मा)