लोयोला, संत इग्नासियस (सन् १४९१-१५५६)। वह उत्तरी स्पे की बास्क नामक जाति के एक अभिजात परिवार के वंशज थे। आमोद-प्रमोद में अपना यौवन बिताकर वह पंप्लोना नगर की रक्षा में घायल हुए और अपने जन्मस्थान लोयोला स्वास्थ्यलाभ करने के लिए लौटकर अन्य साहित्य के अभाव में आध्यात्मिक ग्रंथ तथा संतों की जीवनियाँ पढ़ने लगे। इनसे प्रभावित होकर उन्होंने संन्यास लिया और उत्तरपूर्व स्पेन के मानरेसा में प्रार्थना तथा घोर तपस्या में कुछ समय बिताया। मानरेसा में उन्होंने साधना के विषय में 'स्पिरिच्युअल एक्सरसाइजस' नामक अपने प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की। फिलिस्तीन की तीर्थयात्रा के बाद वह पेरिस के सोरबोन विश्वविद्यालय के छात्र बनकर पुरोहित बनने की तैयारी करने लगे। विश्वविद्यालय के कुछ अन्य प्रतिभाशाली छात्रों के साथ उन्होंने १५ अगस्त, सन् १५३४ ई. को जेसुइट : धर्मसंघ की स्थापना की। बाद में वह अपने साथियों के साथ रोम गए जहाँ १५४० ई. में विधिवत् इस नए धर्मसंघ का अनुमोदन हुआ (दे. जेसुइट धर्मसंध)।
संत इग्नासियस ने धर्मसंघ के संचालन में अपने सूक्ष्म मनोविज्ञान तथा अपनी अपूर्व सहृदयता का परिचय दिया। वह इस बात पर बहुत बल देते थे कि सफलतापूर्वक दूसरों की आध्यात्मिक सेवा करने के लिए प्रार्थना, तपस्या तथा ईसा के साथ संयुक्त रहना परमावश्यक है। सन् १६२२ ई. में काथलिक चर्च ने उनको संत घोषित कर दिया, उनका पर्व उनके मरण की तिथि अर्थात् ३१ जुलाई को मनाया जाता है।
सं. ग्रं.-जें ब्रोड्रिक : सेंट इग्नासियस लोयोला, लंदन, १९५६। (कामिल बुल्के)