लैंडर, वाल्टर सैवेज, (Landor) अंग्रेजी कवि और गद्यलेखक लैंडर का जन्म वारविक में ३० जनवरी १७७५ को हुआ और मृत्यु फ्लोरेंस में १७ सितंबर, १८६४ को। इसके जीवन की घटनाओं में और इसकी साहित्यिक कृतियों में कोई साम्य नहीं था। अपने पड़ोसियों से और खेतों पर काम करनेवालों तथा किराएदारों से वह लैंटनी अर्ब में लड़ता रहा, और बाद में इटली में जाकर उसने अपने जीवन के शेष दिन लेखन के लिए पूरी तरह देने के लिए जल्द ही अन्य कामों से छुट्टी कर ली। १७९८ में लिखी एक कविता 'सेबिर' से उसकी आजीवन मैत्री सदे के साथ हो गई, परंतु उससे उसकी ख्याति नहीं बढ़ी। वह आजीवन कविता लिखता रहा। ग्रीक विषयों पर बहुत छोटे छोटे गीतों से लगाकर लंबे ऐतिहासिक नाटकों तक उसने पद्य में लिखे। पंरतु उसके पद्य नाटक रंगमंच पर खेले नहीं गए। उसकी गीतिकाव्यात्मक रचनाओं में भाषा और शैली की सरलता और प्रसादगुण झलकता है। परंतु 'इमैजिनरी कन्वर्सेशंस' (काल्पनिक संवाद, १८२४-२९) नामक गद्यग्रंथ में उसने इतनी काव्यमयी शैली का प्रयोग किया कि भाषा अलंकारबहुल और लचीली वन गई है। उन्हें पढ़ते हुए गद्यकाव्य का सा आनंद आता है। उसकी रचनाओं की प्रशंसा वर्ड्सवर्थ और अन्य समकालीन साहित्यकारों ने की है; परंतु कई आलोचकों को उसकी शैली केवल शब्दचमत्कार भरी और अर्थशून्य जान पड़ती है। प्राचीन अभिजात विषयों की ओर रोमैंटिक युग में लैंडर ने अंग्रेजी साहित्य की रुचि बढ़ाई।
लैंडर की प्रमुख कृतियों के नाम ये हैं : 'काउंट ज्यूलियन : ए ट्रैजेडी' (काउंट जूलियन : एक शोकांत नाटक, १८३९); जिओवान्ना आफ नेपिल्स (नेपल्स की जिओवान्ना, १८३९); 'साइटेशन ऐंड एक्जामिनेशन ऑव विलियम शेक्सपीयर टचिंग डीअर स्टीलिंग' विलियम शेक्सपीयर के हिरन चुराने का मुकदमा, (१८३४); पेरिक्लीस और एस्पेशिया (दो खंड, १८३६); पेंटामैरान और पेटालोगिया (१८३७); 'दि हेलेनिक्स' (हेलेनिक लोग, १८४७); पेरिक्लीस और एस्पेशिया (दो खंड, १८३६); पेंटामैरान और पेटालोगिया (१८३७); 'दि हेलेनिक्स' (हेलेनिक लोग, १८४७); 'दि इटालिक्स' (इटालवी लोग, १८४८); 'हिरॉइक इडिल्स' (वीर गाथापूर्ण जानपद गीति, १८६३), 'लास्ट फ्रूट ऑव एन ओल्ड ट्री' (एक पुराने वृक्ष के अंतिम फल, १८५३)। इनकी संपूर्ण कृतियाँ कई खंडों में प्रकाशित हुई है। रोमैंटिक युग के कवियों में लैंडर का स्थान गौण कवि के रूप में है, यद्यपि उसके कुछ गीत और छोटी कविताएँ सूक्ति जैसी बहुत लोकप्रिय हैं। (प्रभाकर माचवे)