लेसेप्स, ड, फर्डिनैंड मारी, वाइकाउंट (Lesseps, de, Ferdinand Marie, Viscount, सन् १८०५-१८९४) फ्रांसीसी राजनयिक थे, जिनकी चेष्टा से भूमध्यसागर को लाल सागर से मिलाकर, यूरोप से पश्चिमी एशिया, भारत आदि के मार्ग को छोटा करनेवाली, स्वेज़ नहर का निर्माण हुआ।

इनका जन्म फ्रांस के बेरसाइ नगर में हुआ था। फ्रांस की राजनयिक सेवा में नियुक्त होने के पश्चात् ये मिस्र के अलेक्ज़ैंड्रिया नगर में जब कांसुल थे, तो ऐसी नहर के निर्माण से लाभ की ओर इनका ध्यान गया। यह संपूर्णत: नई योजना न थी, क्योंकि प्राचीन काल में ईसा से ६०० वर्ष पूर्व स्वेज स्थल संयोजक को काटकर एक नहर बनाई गई थी, जो ७६७ ई. के लगभग मिस्र के शासक द्वारा नष्ट कर दी गई थी। नेपोलियन ने भी इस नहर का पुनर्निमाण करने का विचार किया था।

लेसेप्स ने सन् १८५४ में मिस्र के शासक, सईद पाशा, से नहर बनवाने की आज्ञा तथा फ्रांस और मिस्र, दोनों देशों, की सरकारों से सहायता प्राप्त कर, एक कंपनी स्थापित की और वे १०० मील से अधिक लंबी नहर बनवाने में सफल हुए। इसका उद्घाटन १७ नवंबर, १८६९ को हुआ।

इस नहर के निर्माण में सफलता के कारण पैनामा स्थलसंयोजक के आर पार भी नहर बनाने और ऐटलैंटिक तथा प्रशांत महासागरों को जोड़कर, एक से दूसरे महासागर में जानेवाले जहाजों को दक्षिणी अमरीका के संपूर्ण चक्कर से बचाने की बात लेसेप्स को सूझी। नई कंपनी खड़ी कर काम आरंभ भी किया गया, पर इंजीनियरी की कठिनाइयाँ; वहाँ के जंगलों में मलेरिया के जोर तथा धनाभाव से इस कार्य में तब प्रगति न हो सकी। (भगवानदास वर्मा)