लूकस, फान लेइडन (१४९४-१५३३) वह अपने समय का बहुचर्चित कलाकार था। उसने चित्रकला अपने पिता से सीखी थी। बाद में उसने कार्नेलियस एँजेलब्रेश से चित्रकला में दीक्षा ली और उसी शैली में चित्र बनाने लगा। अक्सर दोनों के चित्र अलग अलग पहचानना कठिन हो जाता है। १५२१ में उसकी मुलाकात प्रसिद्ध कलाकार दूरर से ऐंटवर्प में हुई। वह माब्यूस तथा मिडिलबर्ग में रहा। फ्लैडर्स भी घूमने गया। उसके चित्रों की मुख्य विशेषता रेखाकौशल है। रंग भी बड़े अजीब ढंग से लगाए है। काठ और धातु पर खुदाई का काम भी उसने अच्छा किया है। उसके चित्र ऐम्सटर्डेम, बोस्टन, ब्रेमेन, ब्रंसविक, ब्रुसेल्स, लेनिनग्राड, लाइडेन, लंदन, म्यूनिख, न्यूरेमबर्ग, पेरिस, फिलाडेलफिया इत्यादि स्थानों में प्राप्त हैं। (रामचंद्र शुक्ल)