लिलि (Lily or Lilium) लिलिएसी (Liliaceae) कुल, का जीनस है, जिसके १०० स्पीशीज़ हैं। इसके पौधे कठोर, अर्धकठोर तथा कंदीय शाक होते हैं। लिलि के कीपाकार फूल अपनी सुंदरता सुगंध एवं आकृति के कारण विख्यात हैं। फूलों की पंखुड़ियों में बाहर की ओर भूरी, या गुलाबी वर्णरेखाएँ रहती हैं और अंदर की ओर पीली अथवा श्वेत आभा रहती है। इसका तना कई फुट ऊँचा होता है और इसमें अंतस्थ फूल, या अंतस्थ फूलगुच्छ लगता है। यह वंश उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्र का देशज है और इसका प्रवर्धन, बीज, शाल्कीकंद, पत्र प्रकलिकाओं (bulbils) तथा भूस्तरी द्वारा होता है। टाइगर लिलि, मैडोना लिलि, चीनी लिलि, जापानी लिलि, श्वेत ऐस्टर लिलि, प्याज, लहसुन तथा शतावरी (Asparagus) इसके मुख्य सदस्य हैं। केवल लिलियन वंश के पौधे ही लिलि कहे जाने चाहिए, पर अन्य पौधे भी लिलि कहे जाते हैं जो लिलि हैं नहीं, जैसे वाटर लिलि तथा लिलि ऑव वैली इत्यादि।
(Lilium tigrinum)
गहरी, बलुई दोमट तथा उचित तरह सिंचित मिट्टी में लिलि उत्तम रूप से उगती है। अधिकांश लिलियों के कंद विलंबित वर्षा के बाद छह इंच गहरी मिट्टी में लगाए जाते हैं। मोज़ेइक (mosaic) तथा बॉट्रिटिस ब्लाइट (botrytis blight) नामक बीमारियाँ लिलि के लिए घातक होती हैं। (अजित नारायण मेहरोत्रा)