लिनलिथगो, लार्ड १८ अप्रैल, १९३६ को भारत का वाइसरॉय नियुक्त हुआ और २० अक्टूबर, १९४३ तक इस पद पर रहा। वाइसरॉय होने से पहले 'रॉयल कृषि कमीशन' के अध्यक्ष के रूप में वह भारत आया था और यहाँ के ग्रामीण जीवन से संपर्क स्थापित कर चुका था। पद ग्रहण करते समय उसने भारतीयों की स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया तथा उनसे सहयोग की अपील की।

सन् १९३५ में भारत सरकार का ऐक्ट पास हो चुका था जो प्रातों में १९३७ में लागू हुआ। इस ऐक्ट से केंद्रीय व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। प्रांतों में कांग्रेस ने ग्यारह में से आठ प्रांतों में बहुमत प्राप्त किया। इसी बीच सितंबर १९३९ में द्वितीय महायुद्ध छिड़ गया। ब्रिटिश सरकार ने भारत से बिना पूछे ही उसकी ओर से युद्ध घोषित कर दिया। लिनलिथगो के कार्यकाल की एक अन्य महत्वपूर्ण घटना थी सर स्टैफ़र्ड क्रिप्स का भारत आगमन। कुछ अपने हित के कारण तथा कुछ भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने भारतीय समस्या को सुलझाने के लिए क्रिप्स को कुछ प्रस्ताव देकर भारत भेजा। सर स्टैफर्ड मार्च, १९४२ में नई दिल्ली पहुँचा। उसकी योजना से भारत में कोई संतुष्ट नहीं हुआ। इसपर क्रिप्स अपना प्रस्ताव वापस लेकर चला गया। कांग्रेस नेताओं ने यह समझ लिया कि सरकार भारत को वास्तविक स्वतंत्रता नहीं देना चाहती है, अत: गांधी जी के नेतृत्व में 'भारत छोड़ी' आंदोलन शुरू हो गया। इसपर लिनलिथगो के शासन ने गांधी जी आदि मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के समाचार से देश भर में कोहराम मच गया और उपद्रव होने लगे। इसपर लिनलिथगो ने दमन चक्र चलाया। (मिथिलेश चंद्र पांड्या)