लॉस्की, हैरोल्ड जोसेफ (Laski, Harold Joseph) इंग्लैंड के मैंचेस्टर नगर के एक संभ्रांत यहूदी परिवार में ३० जून, १८९३ ई. को जन्म। पिता नाथन लास्की इंग्लैंड में कपास के आयात के प्रमुख व्यवसायी; माँ सारा लास्की। हैरोल्ड उनकी दूसरी संतति थे। लालन पालन परंपरागत यहूदी संस्कार में हुआ। मैंचेस्टर के ग्राम स्कूल तथा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के न्यू कालेज में शिक्षा, १९१३ में 'वेट' पुरस्कार मिला। १९१४ में आधुनिक इतिहास में फर्स्ट क्लास ऑनर्स। राजनीति विज्ञान के पंडित। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् अमरीका के मैकगिल विश्वविद्यालय के अध्यापक (१९१४-१६) नियुक्त हुए। इसके पश्चात् हारवर्ड (१९१६-१९१८), ऐमहर्स्ट (१९१७), येल (१९१९-२०, १९३१), विश्वविद्यालयों में उन्होंने अध्ययन किया। १९२० ई. में 'लंडन स्कूल ऑव इकोनॉमिक्स में अध्ययनार्थ लंदन आए। १८३६ में वहीं राजनीति के प्रोफेसर हो गए एवं जीवन पर्यंत अध्यापन करते रहे। इसी व्यवधान में मैगडेलेन कालेज, केंब्रिज (१९२२-२५), येल (१९३१-३३) मास्को (१९३४), ट्रिनिटी कॉलेज, डवलिन (१९३६) में उन्होंने विशेष व्याख्यान दिए। उनकी कृतियों में निम्नलिखित मुख्य हैं - १. ऑथोरिटी इन मॉडर्न स्टेट (१९१९); २. ए ग्रामर ऑव पॉलिटिक्स (१९२५); ३. लिबर्टी इन मॉडर्न स्टेट (१९३०); ४. दि अमेरिकन प्रेसीडेंसी (१९४०)। उनकी रचना की विशेषता है धैर्य और प्रतिभा, जो समान मात्रा में उपलब्ध है। सन् १९३७ ई. में एथेंस (ग्रीस) विश्वविद्यालय ने उन्हें एल.एल.डी. की उपाधि दी।
लास्की १९२१ से १९३० तक ब्रिटिश इंस्टिट्यूट ऑव एडल्ट एडूकेशन के उपाध्यक्ष रहे। १९२२-२६ की अवधि में यह फेबियन सोसायटी के सदस्य थे। १९२९ में लॉर्ड चांसलर के डेलिगेटेड लेजिस्लेशन कमेटी के सदस्य हुए। इसी तरह स्थानीय शासन की विभागीय कमेटी, लीगस एडूकेशन; इंडस्ट्रियल कोर्ट; काउंसिल ऑव दी इंस्टिट्यूट ऑव पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन; मजदूर दल (लेबर पार्टी) की एक्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य रहे।
लास्की सिद्धांत से समाजवादी थे। व्यक्तिगत स्वातंत््रय में उनकी बड़ी आस्था थी। किंतु १९३१ में जब ब्रिटेन में मजदूर सरकार का पतन हुआ तो वह इस विचार के हो गए कि ब्रिटेन में थोड़ी क्रांति आवश्य है। निदान १९४६ में द्वितीय महायुद्ध का अवसान होने पर, जब ब्रिटेन में मजदूर सरकार अत्यधिक बहुमत से स्थापित हुई तो एक सामाजिक क्रांति अलक्षित रूप में हो गई एवं लास्की की कल्पना - 'जन-कल्याण-राज्य' सत्य हो उठी। उस समय वह ब्रिटेन के मजदूर दल के अध्यक्ष थे। राजनीति में रहने पर भी उन्हें अपने निर्वाचन में दिलचस्पी नहीं थी। मजदूर दल के टिकट पर पार्लिमेंट में अपना निश्चित निर्वाचन एवं मंत्रिमंडल में आने की संभावना रहते हुए भी उन्होंने टिकट नहीं लिया।
हैरोल्ड का विवाह फ्रीदा केरी से हुआ एवं १९१५ में उनकी एकमात्र संतान कन्या डायना (डायना मेटलैंड) पैदा हुई। विवाह के समय हैरोल्ड १८ साल के थे; फ्रीदा २६ साल की! वह बहुत ही प्रगतिशील विचार की थी। संतति-सौंदर्य-वर्धन शास्त्र (Eugenics) पर भाषण देती थी। वह क्रिस्तान थी; हैरोल्ड यहूदी। धर्म की विषमता के कारण लास्की परिवार से उन दोनों को अलग होना पड़ा। पर १९२० में फ्रीदा यहूदी धर्म में दीक्षित हो गई। अत: परिवार से लास्की का संबंध पुन: स्थापित हो गया।
लास्की की शिक्षा पूर्णत: बौद्धिक थी। कला या संगीत का कोई प्रभाव उनके जीवन में परिलक्षित नहीं होता। संतति-सौंदर्य-वर्धन में उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने गॉल्टन क्लब की स्थापना की, जहाँ इस विषय पर विचार वार्ता होती रहती थी। पुस्तकों का संकलन उनकी हॉबी थी। टेनिस के वह अच्छे खिलाड़ी थे। पत्रकारिता से उनका घनिष्ठ संबंध था। किसी समय वह दैनिक डेली हेरल्ड के सह संपादक रह चुके थे। उन्होंने एडमंड वर्क तथा जॉन स्टुअर्ट मिल की कृतियों का संपादन किया। इंग्लैंड एवं अमरीका के पत्रों में वह बहुधा अपना निबंध प्रकाशित करते रहते थे। लार्ड ब्राइस के पश्चात् अमरीका की राजनीति, इतिहास तथा विधान से लास्की के समान अन्य कोई व्यक्ति परिचित नहीं रहा है। वाग्मिता में उनका स्थान इस शताब्दी के उच्चतम वक्ताओं में है।
मार्च २४, सन् १९५० ई. को इनका देहांत हुआ। बहुत से लोगों का अनुमान है कि अत्यत कार्यसंकुल जीवन रहने के कारण उनकी असामयिक मृत्यु हुई।
लास्की का प्रभाव विश्वव्यापी रहा है। लंडन स्कूल ऑव इकॉनॉमिक्स में अध्यापन करते समय संसार के भिन्न भिन्न देशों से छात्र-छात्राएँ अध्ययन के निमित्त उनके पास आते रहे और उनकी प्रगतिशील समाजवादी भावनाओं से प्रभावित हो अपने अपने देश में जनकल्याण की योजनाओं में उन सबों ने किसी न किसी रूप में अवश्य योग दिया। उनके कितने ही छात्र आज एशिया एवं अफ्रीका के विभिन्न देशों में राजनीति में एव उच्च सरकारी पदों पर विराजमान हैं। विद्यार्थियों से उन्हें अत्यधिक प्रेम था। उन्हें हर तरह सहायता पहुँचाने के लिए वह सर्वदा इच्छुक रहते थे। उनके लिए लास्की के घर का दरबाजा सदा खुला रहता था। एक विशिष्ट विद्वान् ने कहा - लास्की वर्तमान युग के सबसे प्रगतिशील एवं निर्भीक विचारकों में थे। राजनीति विज्ञान का एक स्कूल ही उन्हें केंद्र बनाकर विकसित हुआ है।
सं.ग्रं. - मार्टिन, किंग्सली : हैरोल्ड लास्की (१९५३) (नगेंद्र कुमार)