लारेंस, सर टामस (१७६९-१८३०) इंग्लैड का प्रतिष्ठित लोकप्रिय चित्रकार। वह देश उच्चम यथार्थवादी चित्रकला के लिए प्रसिद्ध रहा है और लारेंस उसका एक प्रमुख कलाकार है। इंग्लैंड वासियों ने उसके सम्मान में उसे नाइटहुड (सर) की पदवी दी और रायल अकादमी का प्रेसीडेंट बनाया। किंग जार्ज तृतीय का वह दरबारी कलाकार था। उसके चित्र दिन पर दिन लोकप्रिय होते गए। 'इलीजा फैरै' सन् १८६३ में ७९ गिनी में बिका और यही चित्र १८९७ में दो हजार गिनी से भी अधिक पर बिका।
उसके पिता वकील थे और बाद में एक होटल चलाने लगे थे। बालक लारेंस घूम घूमकर ग्राहकों के रेखाचित्र बनाया करता था और उस समय भी उसकी कलाप्रतिभा देखकर लोग दंग रह जाते थे। बाद में उका परिवार जब बाथ नामक स्थान पर चला आया तो वहाँ १२ वर्ष की अवस्था में बालक लारेंस ने अपनी एक चित्रशाला स्थापित की। चित्रशाला जल्दी ही सभ्य समाज में चर्चा की वस्तु बन गई। १७८७ में लारेंस ने उस समय के इंग्लैंड के अति प्रतिष्ठित कलाकार सर जोशुआ रेनाल्डसे से मुलाकात की और अपनी कला के बारे में सम्मति ली। २१ वर्ष की अवस्था होते होते वह एक लोकप्रिय व्यक्ति चित्रकार (पोट्रेंट पेंटर) के रूप में माना जाने लगा। उसने अपना बहुप्रशंसित व्यक्तिचित्र 'इलीजा फैरे' बनाया। इलीजा फैरे बाद में काउंटेस ऑव डर्बी बनीं। अब तो लारेंस अपनी सफलता के शिखर पर था। इंग्लैंड के राजदरबार में भी उसकी प्रतिष्ठा हुई।
लारेंस ने पहले शास्त्रीय पद्धति से क्लासिकल शैली में चित्र बनाए थे, क्लासिकल विषयवस्तु के आधार पर। बाद में उसने मौलिक ढंग पर व्यक्तिचित्रण किया। अधिकतर उसने सोसाइटी गर्ल्स के चित्र बनाए हैं और इनमें उसकी विशेष रुचि थी पर बालकों के चित्र बनाने में भी उसने अजीब दक्षता दिखाई। 'मास्टर लैबटन' उसका विश्वविख्यात चित्र है। पिकी नाक उसका एक चित्र १९२६ में ७४,००० गिनी में बिका। (शातिलाल कायस्थ)