ला फांतेन (La Fontaine) जीन डो ला फांतेन का जन्म चैटो थिएरी (फ्रांस) में सन् १६२१ में हुआ। धर्मशास्त्र तथा कानून की शिक्षा ग्रहण करने के कुछ समय बाद वह पेरिस चला गया। वहाँ उसने देहाती काव्यसंवाद, वीरकाव्य, गाथाकाव्य, गीतिकविता आदि लिखना प्रारंभ किया। १६६५ में उसने अपनी कहानियाँ प्रकाशित कीं। सन् १६६८ से १६९४ के बीच उसने पंचतंत्र के ढंग की कल्पित कथाओं की १२ पुस्तकें प्रकाशित कीं। सन् १६९५ में उसकी मृत्यु हो गई।
अपने प्रकृतिप्रेम, मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि तथा आह्लादकारी हास्य विनोद के कारण उसने इन कल्पित आख्ययिकाओं के रूप रंग में नया विस्तार किया। नैतिक उपदेशक के रूप में वह प्राय: निराशावादी था किंतु मनुष्य की कमजोरियों की जानकारी के बावजूद उसमें कटुता नहीं आ पाई। सुख प्राप्ति के इच्छुक लोगों को उसने एकांतवास तथा प्रकृतिसंपर्क में रहने की सलाह दी है। वह उस समय का महान् कलाकार था जब सौभाग्य से चौदहवें लूई के शासनकाल में फ्रांस में सुख्यात लेखकों की अच्छी जमात विद्यमान थी। (श्रीमती फ्रांस भट्टाचार्य)