लाप्लास, पियेर सिमों (Laplace
Pierre Simon, १७४९ ई. -
१८२७ ई.) फ्रांसीसी गणितज्ञ का जन्म २८ मार्च, १७४९ ई., को एक
दरिद्र किसान के परिवार में हुआ। इनकी शिक्षा धनी पड़ोसियों
की सहायता से हुई। इन्होंने खगोलविज्ञान एवं गणित की
अनेक शाखाओं पर महत्वपूर्ण आविष्कार किए। खगोलविज्ञान पर
इनकी तीन प्रसिद्ध पुस्तकों, 'मेंवार प्रेजाते पार दिवेर
सवँ' (Memoirs presentes par divers savans),
एक्स्पोजिस्यों द्यु सिस्तैम द्यु मौद (Exposition du systeme
du monde), और 'मेकानिक सेलैस्त' (Mecanique
Celeste) में से प्रथम में 'सौर समुदाय के स्थायित्व
के नियम' का प्रमाण एवं गुरुत्वाकर्षण के नियम से सौर समुदाय
की संपूर्ण गतियों की व्याख्या, द्वितीय में इनकी तारामंडल
संबंधी कल्पना और तृतीय में सौर समुदाय द्वारा प्रस्तुत यांत्रिक
निर्मेय का पूर्ण हल दिया है। इन्होंने संभाव्यता के अध्ययन
में आंशिक अवकल समीकरणों का और लघुतम वर्गों की विधि में
संभाव्यता का प्रयोग किया। संभाव्यता पर लिखित इनके शोधपत्रों
का संग्रह इनकी पुस्तक 'थेओरी अनालितिक दे प्रोबाविलिते'
(Theorie analytique des probabilites, १८१२ ई.) में है। यंत्रविज्ञान में इन्होंने
किसी दीर्घवृत्तज के तल पर, अथवा तल के बाहर स्थित किसी
कण पर, उसके आकर्षण के निर्मेय का पूर्ण हल प्रदान किया। इसमें
इन्होंने 'लाप्लास के गुणक' एवं 'विभव फलन' का प्रचुर
उपयोग किया और सिद्ध किया कि विभव फलन लाप्लास समीकरण
श्को
संतुष्ट करता है। भौतिकी में इन्होंने गैसों में ध्वनिवेग
पर न्यूटन के सूत्र का शोधन किया। ज्वार भाटे के सिद्धांत पर
महत्वपूर्ण अन्वेषण किए और वायुदाब मापक से ऊँचाई
मापने का सूत्र ज्ञात किया। ५ मार्च, १८२७ ई. को इनका देहांत
हो गया।श् (रामकुमार )