लॉर्ड, विलियम (१५७३-१६४५) कैंटरबरी का आर्कविशप। लॉड इंग्लैंड के रीडिंग नामक कस्बे में ७ अक्टूबर, १५७३ ई. को पैदा हुआ था। आक्सफोर्ड के सेंट जान कॉलेज से १५९४ ई. में स्नातक हुआ और १६०१ ई. में मठीय वृत्ति ग्रहण की। उग्र प्यूरिटन मत की ओर उदासीन होने से उसने विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मित्रता प्राप्त कर ली, जो उसके उत्कर्ष के प्रमुख साधन बने। किंतु इतनी क्षमता होते हुए भी वह एक असावधान और संकीर्ण मस्तिष्क का व्यक्ति था। वह क्रमश: सेंट जान कालेज का अध्यक्ष १६११ ई में, हर्टिगटन का आर्कडिकन १६१५ ई. में, और ग्लॉस्टर का डीन १६१७ ई. में नियुक्त हुआ १६२५ ई. में चार्ल्स प्रथम के राज्यारोहण पर वह इंग्लैड के चर्च का प्रमुख नेता बना, और राजा के अत्यधिक विश्वासपात्र सेवकों में उसकी गणना हुई। राजा और संसद के परे संघर्ष में वह राजा के विशेषाधिकारों (prerogative) का घोर समर्थक रहा। वह प्रिवी काउंसिलर १६२६ ई. में लंदन का बिशप १६२८ ई. में, तथा आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय का कुलपति १६३० में बना। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उसने कई उपयोगी सुधार किए। १६३३ ई. में चार्ल्स प्रथम ने उसे कैंटरबरी का आर्कबिशप बनाया। अब वह राज्य की धार्मिक नीति का निर्देशन करने लगा। जनतंत्र तथा प्यूरिटन मत के विरोध में, लॉड ने स्ट्रैफर्ड की सहायता से राज्य तथा चर्च दोनों में समान रूप से निरंकुशता स्थापित की। चर्च पर बिशप तथा राजा की सर्वोच्चता सिद्ध करने, चर्च आचरणों में एकरूपता लाने तथा प्यूरिटनों द्वारा घृणित अनुष्ठानों को कार्यान्वित करने के लिए वह दृढ़प्रतिज्ञ था। उसका प्रमुख उद्देश्य इंग्लैड से कालविन मत तथा स्काटलैंड से प्रेसबिटिरियन मत का उन्मूलन था। प्रेस का दमन करके उसने जनमत नियंत्रित रखा। कोर्ट ऑव स्टार चैंबर तथा कोर्ट ऑव हाई कमीशन द्वारा उसकी नीति कठोरता से चलाई गई। स्काटलैंड के राष्ट्रीय धर्म पर, राज्य द्वारा किए गए आघात उसकी व्यवस्था को ढहाने में सहायक हुए। घटनाओं का अंत बिशप युद्ध तथा दीर्घ पार्लिमेंट की उस बैठक में हुआ जिसने लॉड पर १८४० ई. में देशद्रोह का आरोप लगाकर टावर में बंदी कर दिया। उसपर तीन वर्ष उपरांत मुकदमा चलाया गया किंतु पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर पार्लिमेंट ने एक प्रस्ताव पास कर उसे मृत्युदंड दिया। १० जनवरी, १६४५ ई. को उसे फाँसी दी गई।
सं.ग्रं. - १. डब्लू.एच. हटन : विलियम लॉड (१८८५); ए. वेंसन : विलियम लॉड (१८८७); हुक : लाइव्स ऑव दि आर्कबिशप ऑव कैटरबरी; ए.एस. डंकन जोंस : आर्कबिशप लॉड (१९२७); एच.आर. ट्रेवर रोपर : आर्कबिशप लॉड (१९४०)। (गिरिजाशंकर मिश्र.)