लाइएल, सर चार्ल्स (Lyell, Sir Charles, सन् १७९७-१८७५) अंग्रेज भूविज्ञानी का जन्म १४ नवंबर, सन् १७९७ को हुआ। आपकी शिक्षा ऑक्सफर्ड में हुई। यद्यपि आपने वकालत की शिक्षा पाई थी, तथापि आपकी रुचि भूविज्ञान की ओर थी। यहाँ तक कि सन् १८२७ में आपने भूविज्ञान के पक्ष में वकालत का काम छोड़ दिया।

सन् १८१९ में आप लिनियन और जिओलॉजिकल सोसाइटी के फेलो चुने गए। चार वर्ष उपरांत आप जियोलॉजिकल सोसाइटी के मंत्री (अवैतनिक) तथा सन् १८३५ में उसके अध्यक्ष चुने गए। सन् १८२४ में आप डा. वकलैंड के साथ स्कॉटलैंड गए और वहाँ की भौमिकी का अध्ययन किया। सन् १८२६ में आप रायल सोसाइटी के फेलो चुने गए। सन् १८४८ में आपको नाइटहुड की उपाधि मिली तथा सन् १८६४ में अप 'बैरोनेट' बनाए गए।

आपने डेनमार्क, स्वीडन, अमरीका, कैनाडा, नोवास्कोशिया और सिसली की यात्राएँ की।

आपकी निम्नलिखित पुस्तकें प्रकाशित हुई : 'दि प्रिंसिपल्स ऑव जिऑलाजि' (१८३०-३३ ई.) तीन भागों में प्रकाशित हुई। सन् १८७६ तक इस शास्त्रीय ग्रंथ के १२ संस्करण निकले। सन् १८३८ में आपकी 'एलिमेंट्स ऑव जिऑलोजि' तथा सन् १८६३ में 'दि ऐंटिक्विटि ऑव मैन' प्रकाशित हुई। इनके अतिरिक्त आपकी अन्य पुस्तकें हैं : 'ट्रैवेल्स इन नॉर्थ अमरीका' (१८४५) तथा 'ए सेकंड विजिट टु युनाइटेड स्टेट्स' (१८४९)। उपर्युक्त पुस्तकों के अतिरिक्त आपने भौमिकी पर बहुत से लेख भी लिखे। जीवन के अंतिम वर्षों में आपके नेत्रों की ज्योति जाती रही। २२ फरवरी, सन् १८७५ को आपका देहावसान हो गया। (महाराज नारायण मेहरोत्रा)