ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी शाहवंश के गोविंदचंद्र के दो पुत्र कुंदनलाल तथा फुंदनलाल का उपनाम क्रमश: ललितकिशोरी तथा ललितमाधुरी था और ये दोनों सन् १८५७ ई. में सिपाही विद्रोह के कारणा लखनऊ त्यागकर वृंदावन जा बसे थे। ये दोनों श्री राधारमणी संप्रदाय के परम कृष्णभक्त वैष्णव थे। इन्होंने सन् १८६०-६८ ई. में श्वेत मर्मर प्रस्तर का श्री बिहारीलाल का विशाल मंदिर बनवाया, जो अत्यंत भव्य तथा दर्शनीय है। प्रथम निस्संतान रहे पर द्वितीय का वंश चला। प्रथम की मृत्यु सन् १८७३ ई. में हुई और द्वितीय की दस बारह वर्ष बाद। ये दोनों ही भक्त सुकवि थे और द्वितीय की दस बारह वर्ष बाद। ये दोनों ही भक्त सुकवि थे और इनकी सारी रचनाएँ अभिलाषमाधुरी तथा लघुरसकलिका में संगृहीत हैं, जो सन् १८८१ ई. में लीयो में प्रकाशित हुई थीं। ((स्व.) ब्रजरत्नदास)