रोमपाद धर्मरथ (बृहद्रथ) के पुत्र और अंगदेश के राजा थे जिन्हें चित्ररथ, दशरथ और लोमपाद भी कहते हैं (हरवंश पु. १.३१.४६)। इन्होंने अयोध्या के महाराज दशरथ की कन्या शांता को अपनी पोष्य कन्या बनाया था। एक बार जब अंगदेश में अवर्षण हुआ तो इनसे कहा गा कि विभांडक ऋषि के पुत्र ऋष्यशृंग को निमंत्रित करने पर वृष्टि होगी। ऋष्यशृंग परम तपस्वी थे। उन्हें बुलाने के लिए अप्सराएँ भेजी गई। उस समय विभांडक अपने आश्रम से बाहर गए हुए थे। इसी बीच ऋष्यशृंग अंगदेश पहुँचे और वहाँ वृष्टि हुई। रोमपाद ने प्रसन्न होकर इन्हीं से शांता का विवाह किया और अपना राज्य भी इन्हें सौंप दिया (महा.व., ११३, ११)। (रामज्ञा द्विवेदी)