रोबट, (Robot) या कृत्रिम पुरुष किसी भी ऐसे यंत्र को कहते हैं जो प्राय: मनुष्य के समान बुद्धिमान जान पड़ता है, चाहे उसका बाह्य आकार मनुष्य जैसा हो अथवा नहीं। रोबट शब्द चेक भाषा के रोबिट शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है काम (कर्म)। चेकोस्लोवाकिया के कारेल कापेक (Karel Capek) नामक एक लेखक ने 'रोसम के विश्वव्यापी रोबट' (Rossum's Universal Robots) नामक एक नाटक लिखा था, जिसमें सब काम यांत्रिक रोबट ही किया करते थे और जब वे घिसकर अदक्ष हो जाते थे, तो वे बदल दिए जाते थे। नाटक में अंतिम परिणाम यह है कि इन रोबटों में वास्तविक बुद्धि आ गई और उन्होंने अंत में अपने मालिकों का विनाश कर डाला। इसी नाटक से रोबट शब्द बहुत प्रसिद्ध हो गया।
अलिफलैला में अली बाबा और चालीस चोर की कहानी है, जिसमें गुफा का द्वार 'खुल जा सिमसिम' कहने पर अपने आप खुलता था। अमरीका की एक कंपनी ने वस्तुत: ऐसा द्वार बनवाया था जो इन्हीं शब्दों को उचित ढंग से कहने पर खुलता था और किन्हीं अन्य शब्दों के कहने से नहीं खुलता था। यह भी रोबट यंत्र का नमूना है।
रोबट यंत्र से ज्वारभाटा की ऊँचाई जानी जा सकती है। ऐसा यंत्र हारमोनिक विश्लेषण पर आश्रित होता है। प्रकाश विद्युत् सेलों (photo electric cell) के उपयोग से रोबट यंत्रों में मानो दृष्टि आ जाती है। विशेष ध्वनियों से समस्वरित (tuned) यंत्रों के कारण मानो उनमें श्रवणशक्ति आ जाती है, सूक्ष्म तथा यंत्रचालित अंगुलिरूपी अवयवों से मानों इनमें स्पर्शशक्ति तथा कार्यकरण क्षमता आ जाती है, रासायनिक अभिक्रियाओं के उपयोग से मानों इनमें स्वाद तथा गंध की परख आ जाती है, और ग्रामोफोन की भाँति बोल तो निकल ही सकते हैं।
![]() |
![]() |
चित्र १. कृत्रिम पुरुष
यह भीतर छिपे यंत्रों के कारण चल और बोल सकता है।
अमरीका की वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक ऐंड मैनुफ़ैक्चरिंग कंपनी ने टेलवॉक्स (Televox) नामक यंत्र बनाया है, जो दूरस्थ विद्युत् मीटरों का पाठ बता सकता है, जल की ऊँचाई, गैस की दाब आदि भी बता सकता है और टेलिफोन द्वारा आज्ञा भेजने पर स्विच बंद कर, या खोल सकता है तथा इसी प्रकार के अन्य यांत्रिक कार्य कर सकता है। यह आज्ञा वस्तुत: कार्यकर्ता अपने मुख से नहीं देता, वह स्वरित्र द्विभुज (tuning fork) द्वारा देता है, जिसका स्वर सदा एक समान रहता है।
जहाजों में एक ऐसा यंत्र लगा रहता है, जिसका मुख्य भाग एक घूमता हुआ भारी चक्र होता है। यह जहाज को अधिक डगमगाने नहीं देता। इसे भी रोबट माना जा सकता है।
अनेक औद्योगिक कारखानों में ताप, आर्द्रता आदि के नियंत्रण के लिए यंत्र लगे रहते हैं। कार्य में त्रुटि होते ही मशीन को रोकने के लिए भी यंत्र रहते है। गणितीय समीकरणों को हल करने के लिए भी यंत्र बने हैं। गणना करने के ऐसे विद्युत् यंत्र बने है जो गणितज्ञ के महीनों के कार्य को मिनटों में कर डालते हैं। ये सब भी रोबट के नमूने माने जा सकते हैं (देखें स्वचालित मशीनें)।
राडुसंकाया तथा झाबोटिंस्की के रूसी ग्रंथ में (जिसका अंग्रेजी अनुवाद 'रेडियो टुडे' नाम से छपा है) अनेक इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का विवरण है, जो सचमुच अत्यंत आश्चर्यजनक हैं। उदाहरणत:, ब्रिटिश इलेक्ट्रॉनिक मशीन 'ट्रिडैक' की सहायता से आलिखित (डिज़ाइन किए गए), परंतु बिना बने, वायुयान पर कई परीक्षण किए जा सकते हैं, जिनमें आँधी, पानी, हिम, यहाँ तक कि दुर्घटनाओं का भी प्रभाव उस वायुयान पर क्या पड़ेगा, यह सब पहले से जाना जा सकता है। परीक्षण का परिणाम लेखाचित्र (graph) के रूप में मिलता है, जो दिखाता है कि वायुयान की उड़ान किस प्रकार होगी। 'ट्रिडैक' से रॉकेट (Rocket) की उड़ान को दृष्टिगोचर किया जा सकता है और दो वायुयानों के युद्ध को भी देखा जा सकता है। यंत्र यह भी बता सकता है कि परीक्षित वायुयान से किस प्रकार लड़ना चाहिए कि विजय प्राप्त हो।
![]() |
� | ![]() |
�
स्वामी के आदेशानुसार यह बैठता है, चलता है और भूँकता है।
(वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक ऐंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी)
इसी ग्रंथ में अनुवाद करनेवाले यंत्रों का भी वर्णन है। सन् १९५५ में पहले से बने, बी.ई.एस.एम नामक रूसी इलेक्ट्रॉनिक गणक को अनुवाद के काम पर नियोजित किया गया। इन गणकों में केवल गिनतियाँ भरी जा सकती है और यंत्र केवल जोड, बाकी, गुणा, भाग कर सकता है, परंतु इन क्रियाओं को इतनी शीघ्रता से करता है कि एक सेकंड में लगभग दस हजार जोड़, या बाकी हो सकते हैं। शब्दों के बदले गिनतियाँ चुनकर यंत्र में ९५२ अंग्रेजी शब्द और १,०७३ रूसी शब्द दिए रहने पर, यंत्र उचित रूसी शब्द ढूँढ़ लेता था। जहाँ शब्द के एक से अधिक अर्थ लग सकते थे, वहाँ आगे और पीछे आनेवाले शब्दों के आधार पर उचित अर्थ देनेवाला शब्द ढूँढ़ता था, वाक्य के शब्दों को कुछ समय तक स्मरण रखता था और पहले से भरी गई वाक्यरचना के छह नियमों के अनुसार रूसी शब्दों को यथाक्रम लगा देता था। फिर एक अन्य यंत्र की सहायता से यह वाक्य छप जाता था। पता चला कि यह यंत्र गणित की पुस्तकों का पर्याप्त अच्छा अनुवाद कर लेता था। एक गणितीय सम्मेलन पर समाचारपत्र में छपे विवरण का भी अनुवाद यंत्र में पहले से नहीं भरा गया था। इन स्थलों पर यंत्र ने अंग्रेजी के शब्दों को ज्यों का त्यों छाप दिया।
प्रसिद्ध रूसी वैज्ञानिक पैवलॉव (I.P. Pavlov) ने देखा कि कुत्तों को प्रति दिन खाना देने के पहले अनिवार्य रूप से घंटी बजाने का परिणाम यह होता है कि कुछ समय बाद घंटी बजाते ही कुत्तों के मुँह से लार टपकने लगती है। इसको प्रतिबंधित प्रतिवर्त (Conditioned reflex) कहते हैं। पूर्वोक्त ग्रंथ के अनुसार इसकी नकल में एक ऐसा यंत्र बनाया गया है जिसे 'कछुआ' नाम दिया गया है। यह कछुआ सीधी रेखा में चल सकता है, मुड़ सकता है, और उसमें प्रकाश तथा ध्वनि की अभिक्रिया उत्पन्न होती है। इसका प्रधान काम यह है कि प्रकाश को खोजकर ठीक उसकी ओर चले। बीच में बाधा पड़ने पर कछुआ पीछे हटता है, एकाएक मुड़ जाता है और फिर प्रकाश की ओर चलने लगता है। यदि प्रत्येक बार बाधा पड़ने पर घंटी बजाई जाए, तो कछुए के भीतर लगे एक विशेष यंत्र में स्मृति आ जाती है और अनेक बार के प्रयोग के बाद कछुए में ऐसी शक्ति आ जाती है कि केवल घंटी बजने से ही वह एकाएक मुड़ जाता है और फिर आगे बढ़ने लगता है। इससे बढ़कर प्रतिबंधित प्रतिवर्त का यांत्रिक उदाहरण और क्या हो सकता है? परंतु कछुए में इतना ही गुण नहीं है। यदि बहुत समय तक घंटी न बजाई जाए, तो कछुआ अपना पाठ 'भूल' जाता है, ठीक उसी प्रकार जैसे सजीव जंतु भूल जाते हैं। ऐसे यंत्र रोबट के वास्तविक नमूने माने जा सकते हैं। ((स्व.) गोरखप्रसाद)