रोथेंस्टाइन (Rothenstein), सर विलियम (१८७२-१९४५) यार्क शायर के ब्रेडफोर्ड नामक स्थान में इस अंग्रेज चित्रकार का जन्म हुआ। ब्रेडफोर्ड ग्रामर स्कूल में तथा लेग्रोस के मार्गदर्शन में स्लेड स्कूल में उसने शिक्षा प्राप्त की। बाद में यह पेरिस आया जहाँ उसे लेफेबेवर और कांस्टंट कलागुरुओं का लाभ मिला। चित्रकार देगारु तथा विसलर ने उसकी कला में मौलिकता के अंकुर देखे - समझे। १९ वर्ष की उम्र में ही उसने अनेक लोगों के व्यक्तिचित्र बनाए। इन चित्रों में पाटभोरे, स्विनबर्न और हार्डी जैसे विनोदी तथा साहित्य में प्रसिद्ध व्यक्तियों के चित्र शामिल हैं। सन् १८९३ में न्यू इंग्लिश आर्ट क्लब में उसके चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। प्रथम महायुद्ध काल में वह फ्रांस, ब्रिटेन तथा कनेडियन सैनिकों के ऑफिस का चित्रकार रहा। सन् १९१७ से १९२६ तक वह शेफिल्ड यूनिवर्सिटी में सिविक आर्ट विषय का प्रोफेसर और १९२०-३५ तक रॉयल कॉलेज ऑव आर्ट का प्रिंसिपल रहा। उसकी कृतियों में निसर्गदृश्य, व्यक्तिचित्र तथा तैलचित्रों में बाह्य रूपों की अपेक्षा आंतरिकता को व्यक्त करनेवाली कुछ कृतियाँ हैं। इंग्लैंड की प्रमुख कला गैलरियों में, डब्लिन गैगैलरी ऑव मॉडर्न आर्ट और न्यूयार्क मेट्रोपोलिटन म्यूजियम में इसकी कृतियाँ रखी हैं। भारत में पंचम जार्ज के लिए आयोजित दरबार समारोह का चित्रण करने वह भारत भी आया था। चित्रकला, प्राचीन भारत, और चित्रकार गोया पर इसने पुस्तकें लिखी हैं। सन् १९३१ में उसे 'नाइट' का सम्मान प्रदान किया गया। (भाऊ समर्थ)