रोजा साल्वातोर (Rosa Salvator, १६१५-१६७३) इटालियन चित्रकार, नेपिल्स के समीप अरनेला में जन्म हुआ। उसके पिता उसे वास्तुशिल्पी बनाना चाहते थे लेकिन उसने अपने चाचा पोलो ग्रेसो के पास और बाद में रिबेरा के शिष्य फ्रांसिस्कि फ्रंकंजरो के पास चित्रकला की शिक्षा ली। रिबेरा से भी उसने कलाज्ञान पाया। सन् १६३५ में ला फ्रेंको की प्रेरणा से वह रोम गया। लेकिन शीघ्र ही नेपिल्स तथा फाल्कोन में लौटकर उसने युद्धविषय पर चित्र बनाना शुरू कर दिया। भव्य निसर्गाकृति भी उसने चित्रित की है जिसें ग्रामीण, समुद्री और सैनिकों का भी अंकन है। अभिनय, संगीत और कविता पर उसका समान अधिकार था। कार्डिनल ब्रांकसिओ के कहने पर वह फिर रोम में रहने लगा।
कार्डिनल जिआंकार्लो डी मेदिसी ने उसे फ्लारेंस बुलाया लेकिन वह टस्कन में ही आकर निसर्गचित्रण की अपनी नई शैली में ९ साल तक रमा रहा। उसका कोई शिष्य न था लेकिन उसके चित्रों की नकल काफी कलाकारों ने की। लोबेरी तथा पिटी गैलरी में उसके सबसे अंत में बनाए गए चित्र विद्यमान हैं। (भाऊ समर्थ)