अंगोला पश्चिमी अफ्रीका के उस भाग में स्थित कछ प्रदेशों को कहते हैं जो भूमध्यरेखा के दक्षिण में हैं और पहले पूर्तगाल के अधीन थे। स्थिति: ६° ३०¢

द.अ. से १७° द.अ., १२° ३०° पू.दे. से २३° पू.दे.; क्षेत्रफल: ४,८१,३५१ वर्गमील; जनसंख्या लगभग ५० लाख है जिनमें लगभग ३ लाख गोरे हैं। सीमा: उत्तर में बेल्जियम कांगो, पश्चिम में दक्खिनी अंधमहासागर, दक्षिण में दक्षिणी अफ्रीका संघ तथा पूर्व में रोडेशिया। अंगोला पहले पुर्तगाल के अधीन था, पर अब संयुक्त राष्ट्रसंघ की देखरेख में है। अंगोला का अधिकांश भाग पठारी है, जिसकी सागरतल से औसत ऊँचाई ५०००¢ है। यहाँ केवल सागरतट पर ही मैदान है। इनकी चौड़ाई ३० से लेकर १०० मील तक है। यहाँ की मुख्य नदी कोयंजा है। पठारी भाग की जलवायु शीतोष्ण है। सितंबर से लेकर अप्रैल तक के बीच ५०² से ६०² तक वर्षा होती है उष्णकटिबंधीय वनस्पतियाँ यहाँ अपने पूर्ण वैभव में उत्पन्न होती है जिनमें से मुख्य नारियल, केला और अनेक अंतर-उष्ण-कटिबंधीय लताएँ हैं। उष्णकटिबंधीय पशुओं के साथ-साथ यहाँ पर आयात किए हुए घोड़े, भेड़ें तथा गाएँ भी पर्याप्त संख्या में हैं। हीरा, कोयला, ताँबा, सोना, चाँदी, गंधक आदि खनिज यहाँ मिलते हैं। मुख्य कृषीय उपज चीनी, कहवा, सन, मक्का, चावल तथा नारियल है। माँस, तंबाकू, लकड़ी तथा मछली संबंधी उद्योग यहाँ उन्नति पर हैं। चूना, कागज तथा रबर संबंधी उद्योगों का भविष्य उज्ज्वल है। इस उपनिवेश में सन् १९६९ ई. तक ३१५९ कि.मी. लंबे रेलमार्गों तथा ७२२९१ कि.मी. लंबी सड़कों का निर्माण हो चुका था। २० अक्टूबर, १९५४ को इसे १३ जनपदों में बाँट दिया गया था।

यहाँ के निवासियों में से अधिकतर र्बेतू नीग्रो जाति के हैं जो कांगो जनपद में शुद्ध नीग्रो लोगों से संमिश्रित हैं। (शि. मं. सिं.)