रैतजेल, फ्रेडरिख (१८४४-१९०४ ई.) जर्मन भूगोलवेत्ता तथा मानव विज्ञानी (anthropologist) थे। रिटर की भाँति ही रेतजेल आधुनिक भूगोल विज्ञान के प्रमुख सिद्धांतकारों (theorists) तथा उन्नायकों में प्रमुख हैं। १८७६-१८८६ ई. के दशक में इन्होंने म्यूनिक (जर्मनी) में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, तदनंतर ये लाइप्सिग (जर्मनी) विश्वविद्यालय में चले गए। इनकी अभिरुचि मानव भूगोल की ओर थी और उसके ये जनक कहे जाते हैं। इनके द्वारा प्रतिपादित तत्संबंधी सिद्धांत आज भी मान्य हैं। इनके पहले यह सिद्धांत प्रचलित था कि सभी पिछड़ी हुई जातियाँ, या समाज समान विकासक्रम से गुजरते हैं। इसका इन्होंने जोरदार खंडन किया और प्रतिपादित किया कि विभिन्न समाजों के विकासक्रम में, एक ओर एकांतता (isolation) है तथा दूसरी ओर मानव के संतत आवागमन प्रवाह (migration waves) के फलस्वरूप होनेवाले रक्तमिश्रण का प्रचुर प्रभाव है। राज्य संबंधी सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए उन्होंने पड़ोसी राज्यों के सीमा संबंधी संघर्षो तथा एक दूसरे को हड़प लेने की प्रवृत्ति का कारण लेबेस्रम (Lebensraum or living space) की मूल प्रवृत्ति को बताया। ये रिख्थॉफेन के समकालीन थे और इन्होंने जर्मन भूगोल के उत्थान में अपना योग दिया। आपने कई प्रसिद्ध भौगोलिक पुस्तकें लिखी हैं। (काशीनाथ सिंह)