अंगुलीमाल बौद्ध अनुश्रुतियों के अनुसार एक सहस्र मनुष्यों को मारकर अपना व्रत पूरा करने वाला यह ब्राह्मण पुत्र दस्यु था

जिसका उल्लेख बौद्ध त्रिपिटक में आता है। वह जिसे मारता उसकी अंगुली काटकर माला में पिरो लेता था, इसीलिए उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा। उसका पूर्व नाम अहिंसक था। बुद्ध ने उसे धर्मोपदेश दिया जिससे उसे धर्मचक्षु प्राप्त हो गया। उसने बुद्ध से भिक्षु की दीक्षा ग्रहण की। क्षीणाश्रव अर्हतों में एक हुआ, ऐसा बौद्ध विश्वास है। (भि. ज. का.)