रेडिंग रुफस डैनियल इजाक्स (1860-1935) आंग्ल राजनीतिज्ञ का जन्म लंदन में १० अक्तूबर, १८६० ई. को हुआ था। इनके पिता जोजफ इजाक्स व्यापारी थे। इनकी शिक्षा लंदन की पाठशाला तथा विश्वविद्यालय में हुई। सोलह वर्ष की उम्र में इन्हें अनुशासन सीखने के लिए समुद्र पर भेजा गया१ १८८७ ई. में इन्होंने अधिवक्ता (ऐडवोकेट) के रूप में कार्य किया।

१९०४ ई. के उपचुनाव में रेडिंग उदारवादी साम्राज्य दल की ओर से निर्वाचित हुए। दल में मान प्रतिष्ठा के कारण इन्हें १९१० ई. में महान्यायवादी नियुक्त किया गया १९१२ ई. में मंत्रिमंडल में स्थान मिला। १९१३ ई. में ये लार्ड चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। १९१४ ई. में इन्हें 'बैरन बॉव रेडिंग' की उपाधि प्रदान की गई।

प्रथम विश्वयुद्ध में इन्होंने इंग्लैंड को आर्थिक संकट से बचाने के लिए न केवल उपचारों का मसविदा तैयार किया अपितु उन्हें कार्यान्वित भी किया। इन सेवाओं के उपलक्ष्य में २६ जून, १९१६ ई. को इन्हें 'वाईकाउंट रेडिंग' की उपाधि प्रदान की गई; और एक वर्ष बाद इन्हें अर्ल बना दिया गया। १९१८ ई. में इन्हें वाशिंगटन में विशेष दूत बनाकर भेजा गया।

१९२१ ई. में ये भारत के वायसराय नियुक्त होकर आए। उस समय यहाँ अनेक समस्याएँ थीं : स्वराज्य दल ने द्वैध शासन को अस्वीकृत कर निकृष्ट सिद्ध करने का प्रयास किया, गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन ने देश में उथल पुथल पैदा कर रखी थी, जलियानवाले बाग की दुर्घटना तथा डायर के व्यवहार ने भारतीय असंतोष की अग्नि में धृत का कार्य किया, द्वैध शासन के विरोध को समाप्त करने के लिए अली भाइयों को पकड़ना पड़ा, प्रांतों में विशेष प्रकार का स्वायत्त शासन स्थापित करने का प्रयास किया गया और केंद्रीय धारासभा में भी सहयोग प्राप्त करने का यत्न हुआ। बंगाल और मध्य प्रांत में सफलता न मिली, अत: वहाँ स्वायत्त शासन स्थगित करना पड़ा।

अप्रैल, १९२६ ई. में इंग्लैंड वापस जाकर ये वहाँ की राजनीति में भाग लेने लगे। १९३१ ई. में रैम्ज़ि मैक्डॉनैल्ड की राष्ट्रीय सरकार में ये विदेशमंत्री नियुक्त हुए। ३० दिसंबर, १९३५ ई. को इनका देहांत हुआ। (गिरिराज कािशेर गहराना)