रीमान, जेऑर्ज फ्रीड्रिख बेर्नहार्ड (Riemann,
Georg Friedrich Bernhard, सन् १८२६-१८६६), जर्मन गणितज्ञ, का जन्म
१७ सितंबर, १८२६ ई. को हानोवार के ब्रेसलैंज स्थान पर हुआ
था। पिता के इच्छानुसार ये गटिंगेन में अध्यात्मवाद की शिक्षा
के हेतु गए, परंतु गणितज्ञ गाउस के लेक्चरों से गणित की ओर
आकृष्ट हो गए। तदुपरांत वेबर से भौतिक विज्ञान की शिक्षा
ग्रहणकर १८५१ ई. में इन्होंने डॉक्टरेट प्रात की। 'त्रिकोणमितीय
श्रेणी में किसी फलन की अभिव्यक्ति' पर लिखित रीमान की 'हबिलिटाट्स्योंसश्रिफ्ट'
(Habilitationsschrift,
१८५४ ई., प्रकाशित १८६७ ई.) से स्पष्ट है कि इस
विषय में इन्होंने डीरिक्ले (Dirichlet)
से कहीं अधिक सफलत प्राप्त की थी। रीमान ने यह दिखाकर कि
एक योग की सीमा से परिभाषित सीमित अनुकलों के लिए फलनसातत्य
की आवश्यकता नहीं है, सीमित अनुकलों को चलन कलन से पृथक्
एक स्वतंत्र सत्ता प्रदान की। इन्होंने मिश्र कल्पित चल राशि के
फलनों का भी आविष्कार किया और विभ्व के सिद्धांत का अनुप्रयोग
कर इसको आंशिक अवकल समीकरण श्(जिसको
z
� x
+ i y का वैश्लेषिक फल w � u
+ i v संतुष्ट करता है) पर आधारित किया। ये महत्वपूर्ण
'रीमान तलों' के भी आविष्कारक थे। २० जुलाई, १८६६ ई.
को सलास्का में इनका देहांत हो गया।
(रामकुमार )