रीबर्न, सर हेनरी (Raeburn Sir Henry, १७५६-१८२३ ई.) स्काटलैंड का लोकप्रिय आलंकारिक व्यक्ति चित्रकार।
इंग्लैंड में स्वाभाविक व्यक्तिचित्रण तथा दृश्यचित्रण का अत्यधिक प्रादुर्भाव और विकास अठारहवीं शताब्दी के अंत तथा उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ काल में हुआ। सर हेनरी रीबर्न ने अपने व्यक्तिचित्रों में अलंकरण को प्रधानता देकर सजे सजाए व्यक्तिचित्र बनाए जो अपनी एक अलग ही विशेषताओं रखते हैं।
प्रारंभिक शिक्षाकाल में ही उसे चित्रकला का शौक हो गया था। एक बार उसे एक धनी फ्रेंच युवती लीसली का व्यक्तिचित्र बनाना पड़ा और वहीं उससे उसका प्रेम हो गया और विवाह भी।
सर जोशुआ रेनाल्ड्स की सम्मति से वह रोम गया। दो वर्ष वहाँ रहकर उसने काफी सीखा। लौटने के बाद वह एडिनबरा में बस गया जहाँ उसकी तरह का शायद ही कोई कलाकार रहा हो, जो हमेश सफलता की सीढ़ी पर चढ़ता ही चला गया हो। इसी बीच जार्ज चतुर्थ ने इसे नाइटहुड की उपाधि से विभूषित किया और अपने दरबार में मान्यता प्रदन की।
हेनरी रीबर्न पुरुषों के व्यक्तिचित्र बनाने में बेजोड़ था। 'सर जान सिंक्लेयर' का व्यक्तिचित्र अपनी तरह का अद्भुत् चित्र है। वह रोज सुबह नौ बजे से शाम पाँच बजे तक जमकर काम करता था। वह व्यक्तिचित्र बनाने में काफी समय व्यक्ति का चरित्र अध्ययन करने में लगाता था। सन् १९११ में उसका एक व्यक्तिचित्र २२,३०० गिनी में बिका। रीबर्न का बनाया हुआ व्यक्तिचित्र 'खरगोश के साथ बालक' बालकों के भोलेपन की भावत्मकता का अत्यंत सजीव तथा प्रभावशाली चित्र है। (रामनाथ सुब्रह्मण्यम्)