रिबेरा गिऊसेप्पी (१५८८-१६५२) स्पेन में वेलेंशिआ के पास जतिया में जन्म हुआ। वेलेंशिआ में फ्रांसिस्को रिवाल्टा तथा कारावग्गीओ के मार्गदर्शन में उसने चित्रकला की शिक्षा प्राप्त की। कारावग्गीओ के चित्रों के समान रंगों की मोटी मोटी पर्तें रखते हुए खुरदुरे तकनीक से छाया और प्रकाश का तीखा प्रभाव व्यक्त करनेवाले चित्र उसने बनाए। दिल दहलानेवाले विषयों को उसने अपने चित्रों का अध्ययन किया। फिर वह स्थायी रूप से नेपल्स में बस गया। वहाँ एक कलाकार की लड़की से विवाह कर लिया।
सन् १६१६ में स्पेनिश वाइसराय ड्यूक ऑव ओसेना, उसकी कला पर मुग्ध हो गया। उसके बाद के अन्य वाइसराय और उसकी सहायता करते रहे। उसे चर्चों में चित्र बनान का काम मिलता ही गया, और इस तरह वह काफी लोकप्रिय कलाकार बन गया। रोम की सान लुक अकादमी का वह सदस्य चुना गया। निसर्गवादी चित्रकार के रूप में उसकी ख्याति बढ़ने लगी। लेकिन जब आस्ट्रिया के डान जोन द्वारा उसकी दूसरी लड़की का अपहरण कर लिया गया तब वह निराशा में डूब गया। उसने कुछ कविताएँ भी लिखीं। वह खुदाई की कला भी जानता था। उसके बनाए व्यक्ति चित्र प्रादो, माद्रिद और कनाडा के टोरेंटो म्यूज़ियम में है। उसे लोग लो स्पेग्नोलेत्तो या छोटा स्पेनियार्ड भी कहते थे। (भाऊ समर्थ)