रिज़का (Alfalfa) संसार की एक मुख्य तथा महत्वपूर्ण चारे की फसल है। इसकी उत्पत्ति संभवत: दक्षिण-पश्चिमी एशिया के किसी देश, टर्की, ईरान या अफगानिस्तान में समझी जाती है। अमरीका, पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि में यह अधिक बोया जाता है। एक बार बोने पर यह चार पाँच साल तक उपजता रहता है।

यह शुष्क प्रदेशों में, जहाँ सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, सरलता से पैदा किया जा सकता है। ४० इंच से अधिक वर्षा तथा कम ताप का प्रभाव भी यह अच्छी तरह सहन कर सकता है। इसके फूलने फलने के लिए लगभग २७ सें. ताप अधिक उपयुक्त है। वर्षा ऋतु में यह अधिक बढ़ता नहीं और गर्मियों तथा जाड़ों में ४० या ४५ दिन के अंतर पर कटाई की जा सकती है।

इसके लिए गहरी जलोत्सारी दुमट भूमि बहुत उपयुक्त है। यद्यपि यह अन्य प्रकार की भूमियों में भी हो सकता है, पर पानी भरनेवाली भूमि इसके लिए अनुपयुक्त है। अम्लीय भूमियों में चूने का उपयोग आवश्यक है। प्रति वर्ष लगभग २०० मन प्रति एकड़ घूरे की खाद, या कम्पोस्ट खाद देना चाहिए। ५० पाउंड फॉस्फोरस की खाद भी उपयुक्त है। जिस खेत में रिज़का बोना हो, उसे गेहूँ के खेत के समान जुताई करके और पाटा देकर तैयार करना चाहिए। बोने के लिए, या तो खेत में बीज को छिटक कर हैरो चलाकर हल्का पाटा लगा देना चाहिए, या लगभग २ फीट के अंतर पर आलू की कूड़ी की भाँति ६, ७ इंच ऊँची कूड़ी बनाकर उसकी चोटी पर एक इंच गहरी नाली में बीज बोकर मिट्टी से ढँक देना चाहिए, या हॉवर्ड विधि से २ फुट चौड़ी समतल मेड़े बनाकर तथा उनके बीच एक फुट चौड़ी नाली देकर बीच बो देना चाहिए। वर्षा ऋतु में नालियों की फसल समाप्त हो जाएगी और कूड़ियों के ऊपर फसल बच जाएगी। यह विधि मटियार भूमियों के लिए तथा अधिक वर्षावाले स्थानों के लिए उपयुक्त है।

इसकी बोई उत्तर प्रदेश में मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक की जा सकती है। ६ या ८ सेर प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है।

लाइन में बोई फसल में निराई तथा गोड़ाई कल्टिवेटर, या हो सके बैलों द्वारा की जा सकती है। वर्षाकाल में खर पतवार दूर करना आवश्यक है।

कटाई - पहली कटाई बोने के तीन माह पश्चात् की जा सकती है। इसके पश्चात् डेढ़ दो माह के अंतर पर, वर्षा ऋतु को छोड़कर, कटाई की जा सकती है। साल में पाँच सात कटाई की जा सकती हैं। प्रति कटाई में १०० से १२५ मन हरा चारा मिल सता है। भारत में दूध देनेवाले पशुओं को यह अधिक मात्रा में नहीं दिया जाता, परंतु अमरका में इसे सब पशुओं को खिलाते हैं। सुखाने के लिए इसे फूलते समय काटना चाहिए। बीच के लिए कटाई ऐसे समय पर करनी चाहिए जिससे फूलते फलते समय वर्षा न हो और सिंचाई से पानी की आवश्यकता पूरी की जा सके। बीज पड़ने के लिए फूलते समय मधुमक्खियों आदि की आवश्यकता होती है, संयुक्त राज्य अमरीका में शहद की मक्खियों को पालकर और छह, सात छत्ते प्रति एकड़ खेत पर लगाकर इस आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।

साल में सिंचाई की आवश्यकता ऋतु के अनुसार होती है और लगभग छह, आठ बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। (दुर्गा शंकर नागर)