रालि, वाल्टर, सर (Raleigh, Walter, Sir, सन् १५५२?-१६१८ ई.) अंगरेज सेनापति, नौसेनापति तथा लेखक थे। इनका जन्म इस्ट बड्ले, डेवनशिर, (इंग्लैंड) में हुआ तथा इन्होंने मृत्युदंड, ओल्ड पैलेस यार्ड, लंदन (इंग्लैंड) में भुगता। इनकी शिक्षा ऑक्सफर्ड के ओरियल महाविद्यालय में हुई। तदनंतर सर हफ्रें गिल्वर्ट के साथ पश्चिमी द्वीपसमूह क्षेत्र में अन्वेषणात्मक कार्य तथा स्पेन निवासियों के विरुद्ध समुद्री लूट में संलग्न हो गए। महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम की कृपा से ये देश के धनी मानी एवं अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हो गए। १५८४ ई. में इन्हें नाइट बनाया गया, १५८५ ई. में ये टिन की खानों के प्रमुख संरक्षक तथा डेवन और कॉर्नवाल के उवाइस ऐडमिरल (Vice Admiral) नियुक्त हुए।
उत्तरी अमरीका के विभिन्न भागों में अन्वेषण तथा बस्तियाँ स्थापित करने के आपने महत्वपूर्ण कार्य किए। १५८४-८९ ई. में इन्होंने वर्जिनिया में कई दल भेजे। तदनंतर अमरीकी क्षेत्र में इन्होंने अन्वेषणात्मक कार्य तथा लूटपाट करना प्रारंभ किया। १५९५ ई. में इन्होंने ट्रिनिडाड के सानजोसेफ नगर को अधिकृत कर लिया और ओरीनिकी नदी में चार सौ मील तक अन्वेषण किया। जून, १५९६ ई. में इन्होंने काडिज़ पर ब्रिटिश आक्रमण में महत्वपूर्ण योग दिया और १५९७ ई. में फायल को भी अधिकृत कर लिया। १६०० ई. में इन्हें जर्सी का गवर्नर बनाया गया।
शत्रुओं ने इनके विरुद्ध जेम्स प्रथम के कान भर दिए। फलत: इन्हें जेल भेज दिया गया। लगभग तेरह वर्षों तक जेल में इन्होंने अपने परिवार के साथ शांतिपूर्वक जीवन बिताया। मार्च, १६१६ ई. में इनके इच्छानुसार इन्हें अन्वेषणार्थ अमरीका भेजा गया, किंतु जेम्स की आज्ञा तथा अपनी ही की हुई स्वीकारोक्ति के विरुद्ध स्पेन-अधिकृत क्षेत्रों तथा मेक्सिको के जहाजी बेड़ों पर आक्रमण करने के कारण इन्हें २९ अक्टूबर, १६१८ को फाँसी दे दी गई। जेल में इन्होंने संसार का इतिहास लिखा। इनकी कविताओं का संग्रह डा. जेहान्ने (१८८५ ई.) ने किया था। (काशीनाथ सिंह)