रायसिंह सिसोदिया, राजा राणा अमरसिंह का पौत्र और महाराज भीम का पुत्र। भीम शासन अधिकरण प्रतिद्वंदिता में शाहजहाँ का साथ देते हुए मारा गया। उसके सम्राट् होने पर रायसिंह को उसी वर्ष दो हजारी एक हजार सवार का मंसब, राजा की उपाधि तथा अन्य उपहार देकर सम्मानित किया गया। १६३३ ई. में राजकुमार औरंगजेब के साथ जुझार सिंह का दमन करने को नियुक्त हुआ। १६३९ में राजकुमार दाराशुकोह के साथ कंधार गया। १६४१ में जम्मू के विद्रोही जागीरदार जगतसिंह का दमन करने भेजा गया। १६४५ में मुरादबख्श के साथ बलख बदख्शाँ की ओर कूच किया। १६४९ में औरंगजेब के साथ फिर से कंधार की ओर गया और बड़ी वीरता से काजिलबाशों का दमन किया। इसकी पदोन्नति हुई। १६५५ में अल्लमी सादुल्ला खाँ के साथ चित्तौड़ विजय को नियुक्त हुआ।

१६५८ में शायस्ता खाँ के साथ और १६६३ में मिर्ज़ा राजा जयसिंह के साथ शिवाजी के दमन में इसने स्वामिभक्ति प्रदर्शित की। प्रसादस्वरूप इसका मंसब बढ़ाकर पाँच हजारी ५००० सवार का कर दिया गया। १६७२ ई. में इसकी मृत्यु हुई।