अंगद किष्किंधा के वानरराज बालि और तारा का पुत्र जो रामायण के परंपरानुसार वानर था और राम की ओर से रावण से लड़ा था। उसने रावण की सभा में चरण रोपकर प्रतिज्ञा की थी कि यदि रावण का कोई योद्धा मेरा चरण हटा देगा तो मैं सीता को हार जाऊँगा। बहुत प्रयत्न करने पर भी रावण के योद्धा उसका चरण न हटा सके। इसी कथा से अंगद का चरण , न डिगने वाली प्रतिज्ञा के अर्थ में मुहावरा बन गया। (भ. श. उ.)

लक्ष्मण के दो पुत्रों में से एक का नाम अंगद था और महाभारत युद्ध में कौरव पक्ष के एक योद्धा का नाम भी यही था। (कै. चं. श.)