रामानंद राय इनके पिता का नाम भवानंद राय था तथा जन्म संभवत: कटक के पास सं. १५२० के लगभग हुआ था। यह उड़ीसा के राजा गजपति प्रतापरुद्रदेव के अधीनस्थ विद्यानगर के शासक थे। यह भक्त, सुकवि, विरक्त तथा कृष्ण तत्व के विशिष्ट ज्ञाता थे। दक्षिण यात्रा को जाते हुए विद्यानगर में श्री गौरांग से इनका मिलन हुआ और कई दिनों तक सत्संग रहा। जब श्री गौर नीलाचल पुरी में रहने लगे तब यह भी संसार त्यागकर उन्हीं के सेवासत्संग में अंत तक रहे। इनका रचित 'जगन्नाथवल्लभ नाटक' श्रीगौर को अत्यंत प्रिय था। सं. १५९१ में इनकी मृत्यु हुई। इनका ब्रजबुली में रचा हुआ एकाध पद मिलता है। ((स्व.) ब्रजरत्नदास)