रामराय अपना वंश गीतगोविंद के रचयिता श्री जयदेव से चला हुआ मानते हैं। रामराय जयदेव से चौदहवीं पीढ़ी में हुए। इनका जन्म लाहौर में हुआ पर ये छोटी अवस्था में ही विरक्त होकर वृंदावन चले आए। इनकी 'गीतगोविंद भाषा' की रचना सं. १६२२ में हुई जिससे इनका काल सं. १५६० से १६४० तक मान्य है। इनके पिता का नाम गौरगोपाल तथा भाई का चंद्रगोपाल था। इनकी संस्कृत रचनाएँ गौर-विनोदिनी-वृत्ति, गौरगीता आदि हैं तथा व्रजभाषा में आदि वाणी और गीतगोविंद भाषा है। ये ऐसे विद्वान् भक्त हो गए हैं कि जीव गोस्वामी तथा विश्वनाथ चक्रवर्ती ने स्वरचनाओं में इनकी वंदना की है। ((स्व.) ब्रजरत्नदास)