रानाडे, महादेव गोविंद (१८४२-१९०१) भारत के विख्यात वकील, समाजसुधारक और लेखक। जन्म १८ जनवरी को नासिक जिले के एक गाँव में हुआ था। उनके पिता कोल्हापुर रिसायत के मंत्री थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नगर के ही एक ऐंग्लोवर्नांक्यूलर स्कूल में हुई। १४ वर्ष की अवस्था में बंबई के एल्फिंस्टन इंस्टीट्यूट में दाखिल हुए। वे बंबई विश्वविद्यालय के सर्वप्रथम स्नाताकों में से थे। १८८६ में उन्होंने कानून की उपाधि प्राप्त की। उनकी सर्वप्रथम नियुक्ति प्रसीडेंसी मजिस्ट्रेट के रूप में हुई और सन् १८७३ में प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश बनाए गए। १८८४ में छोटे मामलों के न्यायाधीश हुए। सरकार ने राजकीय और प्रांतीय व्यय में कमी करने के लिए जो जाँच समिति नियुक्त की थी उसके सदस्य की हैसियत से रानाडे की महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए उन्हें सरकार ने सी. आई. ई. की उपाधि दी। १८९३ में उन्हें बंबई हाईकोर्ट का प्रधान न्यायाधीश बताया गया। समाजसुधारक के रूप में उन्होंने विधवाओं के मुंडन, बालविवाह, वैवाहिक आडंबरों में अपव्यय, विदेशयात्रा संबंधी रूढ़िवाद आदि कुरीतियों का खुलकर विरोध किया। नारीशिक्षा, विधवा पुनर्विवाह के लिए उन्होंने आंदोलन किए। भारतीय राजनीति का विद्यार्थी उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक के रूप में बराबर याद रखेगा। उनका देहांत १७ जनवरी, १९०१ को हुआ। (मुद्रा राक्षस)