राजाराम, छत्रपति (जन्म, १६७० : मृत्यु १७००) शिवाजी का कनिष्ठ पुत्र राजाराम साधारण व्यक्तित्व का होते हुए भी, मुगल संघर्ष की पृष्ठभमि में महाराष्ट्रीय स्वतंत्रता तथा हिंदू-पद-पादशाही का प्रतीक बना। उसकी अल्प योग्यता की पूर्ति उसके मेधावी राजनीतिज्ञों, रामचंद्र पंत और प्रहूलाद नीराजी, तथा प्रतिभाशाली सेनानायकों, संताजी घोरपड़े और धानाजी जाधव, द्वारा हुई। शिवाजी की मृत्यु पर, ज्येष्ठ पुत्र संभाजी के दुष्चरित्र के कारण एक पक्ष ने राजाराम को छत्रपपति घोषित किया (१६८०); किंतु, वह तुरंत ही संभाजी द्वारा बंदी बना लिया गया। संभाजी की मृत्यु पर वैधरूपेण उसका राज्यभिषेक हुआ (९ फरवरी १६८९)। मुगल सेना द्वारा रायगढ़ में घेरे जाकर वह पन्हाला चला गया; और पन्हाला से जिंजी (१५ नवंबर, १६८९)। जिंजी के पतन पर, उसने पुन: महाराष्ट्र में पदार्पण किया (१६९७)। मराठा सेना के निरंतर गुरिल्ला युद्ध से मुगल सेना शिथिल हो चुकी थी। किंतु सफलता के क्षणों में ही राजाराम की मृत्यु हो गई (२ मार्च, १७००)। राजाराम की तीन पत्नियाँ थीं, जिनमें ताराबाई ने राजाराम की मृत्यु के बाद महाराष्ट्र का नायकत्व ग्रहण कर मुगलों से सफल संघर्ष किया।
सं. ग्रं. - जी. एस. सरदेसाई : दि न्यू हिस्ट्री ऑव दि मराठाज। (राजेंद्र नागर)