राइट, विल्बर (Wright] Wilbur, सन् १८६७-१९१२) तथा इनके भाई, ऑर्विल राइट (Orvlle Wright, सन् १८७१-१९४८) अमरीकन इंजीनियर तथा आविष्कार थे, जिन्होंने सर्वप्रथम सफल वायुयान बनाया। इनके पिता पादरी थे, जिन्हें अपना निवास कई बार बदलना पड़ा। फलत: इनकी शिक्षा कई भिन्न स्थानों में हुई। एक दुर्घटना के कारण विल्बर लगभग आठ साल तक अपाहिज रहे। इससे इनको उच्च शिक्षा नहीं मिल सकी। सन् १८९० में ये अपने छोटे भाई को एक अखबार निकालने में सहायता देने लगे।
जर्मन इंजीनियर, ऑटो लिलिएंथाल के वायु में उड़ने के प्रयोगों के वत्तांत पढ़कर इन्हें भी इस विषय के प्रति आकर्षण हुआ। लिलिएंथाल की मृत्यु ग्लाइडर विमान के संतुलन का यथेष्ट नियंत्रण न होने से हुई थी। वे यंत्र का संतुलन अपने शरीर को इधर उधर हटाकर उसके भार द्वारा करते थे। दोनों भाइयों ने इस रीति को अनुपयुक्त समझ ऐसी प्रणाली का विकास किया, जिसमें गुरुत्वकेंद्र स्थिर रहता था और यंत्र के विभिन्न भागों पर हवा के दबाव को घटा बढ़ाकर संतुलन स्थापित किया जाता था। यह कार्य डैनों तथा सहायी तलों के कोणों को अनुकूल कर पूरा होता था।
दोनों भाइयों ने वायुयान बनाना खेल और मनबहलाव के लिए आरंभ किया था, किंतु शीघ्र ही इसने वैज्ञानिक खोज का रूप ले लिया। इन्होंने पाया कि संबंधित वर्तमान वैज्ञानिक तथ्य और सामग्री अविश्वसनीय थे। इसलिए इन्होंने स्वयं आवश्यक प्रयोग कर सब प्रकार के तथ्य एकत्रित करने आरंभ किए। अपने प्रयत्नों में इन्हें अपूर्व सफलता मिली और सन् १९०२ में इन्होंने मोटर से चलानेवाला वायुयान बनाना प्रारंभ किया। १७ दिसंबर, १९०३ ई. को किटीहॉक नामक स्थान पर इसका सफल परीक्षण हुआ। उस परीक्षा में यह यंत्र चार बार उड़ा। पहली उड़ान में ऑर्विल १२ सेकंड तक वायु में उड़े और सबसे लंबी उड़ान केवल ५९ सेकंड की थी, किंतु इन उड़ानों से यह सिद्ध हो गया था कि हवा से कहीं अधिक भारी यंत्र में मनुष्य उड़ सकता है।
इसके पश्चात् राइट बंधु अपने वायुयान
को उन्नत और अधिक उपयोगी बनाने में लगे। पाँच वर्ष के परिश्रम
के पश्चात् ऑर्विल राइट ने १ घंटा १५ मिनट की उड़ान भरकर,
श्मील की दूरी तय की। इस आविष्कार
के लिए दोनों भाइयों को विभिन्न देशों से आदर और पुरस्कार
मिले, किंतु अपने आविष्कारों के स्वत्वाधिकार की रक्षा के लिए
इन्हें बहुत से मुकदमे लड़ने पड़े और वित्ति झेलनी पड़ी।
(भगवानदास वर्मा)