राइखस्कामेरगेरिख्त (इंपीरियल चेंबर) पवित्र रोमन साम्राज्य का न्यायकक्ष था जिसने १४९५ और १८०६ ई. के बीच न्यायकार्य किया। इससे पहले के न्यायकक्ष 'होफगेरिख्त' और 'कामरेगेरिख्त' सम्राट् की अध्यक्षता में कार्य करते थे, अब इस नए न्यायकक्ष की योजना सरकारी कानूनी पंडितों द्वारा संगठित हुई। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति सम्राट् करता था पर अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति साम्राज्य द्वारा होती थी। इसके सदस्यों की संख्या प्रारंभ में १६ थी जो रोमन कानून के विशेष जानकार होते थे। अब यह न्यायसभा सम्राट् की शक्ति से बाहर जनसभा 'डाएट' के संविधान द्वारा संघटित और संरक्षित हुई। इसके द्वारा रोमन कानून की समाराधना का प्रधान परिणाम यह हुआ कि जर्मन विधि के शरीर में रोमन कानून की आत्मा पैठी और साम्राज्य में रोमन कानून का प्राधान्य तथा प्रचार हुआ। केंद्र के साथ ही साथ साम्राज्य के विविध राज्यों ने जो इसे अपनाया तो सर्वत्र रोमन कानून का जनपदीय न्याय विधा में समावेश हो गया। यह साम्राज्य-न्यायालय जनपदीय न्यायालयों के फैसलों की अपील भी सुनता था। पर धन के अभाव से इसके न्यायकार्य में समय बहुत लगता था। (भगवतशरण उपाध्याय)